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गुजरात में कैसे भड़के थे दंगे? पीएम मोदी ने सुनाया पूरा घटनाक्रम, कहा- केंद्र की सत्ता में बैठे लोग चाहते थे कि...

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पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर एक झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था और केंद्र की सत्ता में बैठे उनके राजनीतिक विरोधी चाहते थे कि उन्हें सजा मिले। लेकिन, अदालतों ने उन्हें निर्दाेष साबित किया।

अमेरिका के जाने-माने पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने कहा कि यह धारणा गलत सूचना फैलाने का एक प्रयास था कि 2002 के दंगे गुजरात में अब तक के सबसे बड़े दंगे थे। हालांकि, अगर आप 2002 से पहले के आंकड़ों की समीक्षा करेंगे तो पाएंगे कि गुजरात में लगातार दंगे हुए।

गुजरात दंगों का किया जिक्र

उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं तो लगातार कर्फ्यू लगाया जाता था। 1969 में गुजरात में दंगे छह महीने से ज्यादा समय तक चले थे। मोदी ने कहा कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड उनके गुजरात विधानसभा का सदस्य चुने जाने के मुश्किल से तीन दिन बाद हुआ। यह अकल्पनीय त्रासदी थी, लोगों को जिंदा जला दिया गया।

मोदी ने कहा कि कंधार विमान अपहरण, संसद पर हमला या यहां तक कि 9/11 जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में आप कल्पना कर सकते हैं और फिर इतने सारे लोगों को मार दिया गया और जिंदा जला दिया गया। आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कितनी तनावपूर्ण और अस्थिर थी।

राजनीतिक विरोधियों पर लगाए आरोप

पीएम ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए। हम भी ऐसा ही चाहते हैं। हर कोई शांति चाहता है। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने कहा कि गोधरा में हुई बड़ी घटना चिंगारी फैलने का केंद्र बिंदु थी और फिर हिंसा हुई। गोधरा मामले को लेकर फर्जी विमर्श गढ़ा गया। लेकिन, अदालतों ने मामले की पूरी तरह से जांच की और हमें पूरी तरह से निर्दाेष पाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हिंसा हुई तब उनके राजनीतिक विरोधी केंद्र की सत्ता में थे और चाहते थे कि इन आरोपों पर मुझे दंडित किया जाए। वे हमें सजा मिलते देखना चाहते थे। उनके अथक प्रयासों के बावजूद न्यायपालिका ने दो बार सावधानीपूर्वक स्थिति का विश्लेषण किया और अंततरू हमें पूरी तरह से निर्दाेष पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुजरात, जहां लगभग हर साल हिंसा होती थी, वहां 2002 के बाद से दंगे नहीं हुए हैं।

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