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खत्म हुआ जस्टिन ट्रूडो का दौर, मार्क कार्नी बने कनाडा के नये पीएम

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नई दिल्ली। कनाडा के नए प्रधानमंत्री का नाम तय हो गया है। मार्क कार्नी कनाडा के नये प्रधानमंत्री होंगे। वह जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। कार्नी एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं औऱ वह दुनिया के दो बड़े देशों में गवर्नर रह चुके हैं।

कनाडा के पीएम की रेस में उनका नाम सबसे आगे चल रहा था। कार्नी शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छे रहे हैं। उन्हें 2007 में कनाडा का गवर्नर बनाया गया था। ये वो दौर था, जब पूरी दुनिया मंदी की चपेट में थी। बाद में वह बैंक ऑफ इंग्लैंड के भी गवर्नर बने थे।

ट्रूडो ने छोड़ा लिबरल पार्टी के नेता का पद

जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के लीडर का पद छोड़ दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, मैं लिबरल पार्टी के नेता के रूप में उसी आशा और कड़ी मेहनत के साथ विदा ले रहा हूँ, जैसा कि मैंने शुरू में किया था।

उन्होंने आगे लिखा, श्इस पार्टी और इस देश के लिए काफी उम्मीदें हैं। उन लाखों कनाडाई लोगों की वजह से जो हर दिन साबित करते हैं कि बेहतर हमेशा संभव है।श् बता दें कि ट्रूडो ने जनवरी में ही पार्टी को देश के नया प्रधानमंत्री चुनने को कह दिया था।

कभी वित्त मंत्री बनने का मिला था प्रस्ताव

मार्क कार्नी वैसे तो कनाडा की सक्रिय राजनीति से दूर रहे हैं, लेकिन उन्हें मौके कई बार मिले। उन्हें 2012 में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने वित्त मंत्री बनने का मौका दिया था। लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को नकार दिया था।

2013 में लिबरल पार्टी के लीडर के चुनाव का वक्त हो या ट्रूडो की सरकार से वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे देने का, कार्नी का नाम हमेशा आगे आया। लेकिन उन्होंने कभी इसमें रुचि नहीं दिखाई। लेकिन अब वह कनाडा के प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठने जा रहे हैं।

भारत के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद

जस्टिन ट्रूडो ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंधों को बदतर करने में कोई असर नहीं छोड़ी। लेकिन मार्क कार्नी इसे बेहतर बना सकते हैं। कार्नी वहीं शख्स हैं, जिन्होंने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ रिश्ते फिर से मजबूत करने चाहिए।

जानकार बताते हैं कि मार्क कार्नी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पसंद नहीं करते। हालांकि वह कभी खुल कर इस बारे में भी नहीं कहते हैं। कनाडा पर ट्रंप की बिगड़ी नीयत के बाद अब कार्नी के सामने इकोनॉमी को मजबूत करने और देश के लोगों का भरोसा जीतने की चुनौती होगी।

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