उदय सिंह ने खुद को बताया उत्तराधिकारी
प्रयागराज (राजेश सिंह)। बिहार बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की ओर से संगम नगरी समेत यूपी के आठ जिलों में संपत्तियों का चिह्नीकरण कराने के बाद बेतिया राजघराना सुर्खियों में आ गया है। इस राजघराने की आखिरी वारिस महारानी जानकी कुंवर के महल को 229 वर्ष बाद भी वारिसों का इंतजार है। फिलहाल इस राजमहल के रनिवास और अन्य हिस्सों में कहीं सरकारी दफ्तर खुल गए हैं तो कहीं अवैध कब्जा हो चुका है।
अतीत के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि बेतिया राज का इतिहास उज्जैन सिंह और गज सिंह से जुड़ा है, जिन्हें बादशाह शाहजहां से राजा की उपाधि मिली थी। 1897 से यह संपत्ति कोर्ट ऑफ वार्ड्स के प्रबंधन के अधीन है। रानी के ऐतिहासिक राजमहल को धरोहर के रूप में संरक्षित करने की बात कही जा रही है। जबकि, उनके वंशज बिहार सरकार के कब्जे से संपत्तियों के मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आजादी के बाद बेतिया राजघराने के उत्तराधिकार को लेकर राजकुमारी बीना सिंह उर्फ पूर्णिमा कुंवर ने अपने पिता महाराजा रमनी सिंह के निधन के बाद इस संपत्ति पर दावा किया था। तब से यह राजपरिवार बिहार के बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से अपने हक के लिए लड़ रहा है।
अब इस राजपरिवार की ओर से खुद को बेतिया राजघराने का वंशज साबित करने के लिए अदालतों का चक्कर काट रहे कुंवर उदय सिंह ने बिहार के बोर्ड ऑफ रेनेन्यू के उस एक्ट को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें बेतिया राजपरिवार के उत्तराधिकार को समाप्त करते हुए सारी चल-अचल संपत्तियों को सरकार के कब्जे में देने के लिए बनाया है। कुंवर उदय सिंह बताते हैं कि वह अपने राजघराने की संपत्तियों को बिहार सरकार ही नहीं अन्य कब्जेदारों के चंगुल से मुक्त कराकर ही दम लेंगे। मुट्ठीगंज और स्ट्रैची रोड पर बेतिया राजघराने की संपत्ति की कीमत 550 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।
इतिहास पर नजर डालें तो बेतिया के अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु के बाद उनकी पहली पत्नी रत्ना कुंवर वारिस बनी थीं। उनके निधन के बाद महाराजा हरेंद्र किशोर की दूसरी पत्नी जानकी कुंवर को इस राजघराने का उत्तराधिकारी घोषित किया गया, लेकिन बाद 1897 से यह संपत्ति कोर्ट ऑफ वार्ड्स के प्रबंधन के अधीन आ गई।
राजा बेतिया की संपत्तियों की तलाश शुरू कर दी गई है। सीआरओ (मुख्य राजस्व अधिकारी) की ओर से सभी एसडीएम को पत्र लिखकर संपत्तियों का विवरण मांगा गया है। बिहार सरकार राजा बेतिया की हर तरह की संपत्ति अपने कब्जे में लेगी। इस सिलसिले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू बिहार के अध्यक्ष केके पाठक ने मंडलायुक्त तथा अन्य अफसरों से बात की थी। इसी क्रम में मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने सीआरओ को सर्वे कराके सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। हालांकि, प्रारंभिक तौर पर राजा बेतिया की कई संपत्तियों का विवरण कलक्ट्रेट में है। फिलहाल एक दर्जन से अधिक संपत्तियां होने की बात कही जा रही है।
इनमें स्ट्रैची रोड स्थित महारानी जानकी कुंवर का बंगला, मुट्ठीगंज में रानी बेतिया का हाता तथा छोटा बघाड़ा में कई संपत्तियां शामिल हैं। अब मंडलायुक्त के निर्देश पर इन संपत्तियों के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। इनके अलावा राजा बेतिया की अन्य संपत्तियों का भी सर्वे शुरू हो गया है।
राजा बेतिया के नाम पर दर्ज कई भूखंड के नजूल भूमि होने की बात भी सामने आई है। अफसरों के अनुसार पूरी संपत्ति बिहार बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के कोर्ट ऑफ कवर के हवाले होने के बाद प्रयागराज आईं रानी जानकी कुंवर ने संभवत: स्ट्रैची रोड समेत कई जगहों पर उत्तर प्रदेश सरकार से नजूल भूमि लीज पर ली थी। अब उनका लीज भी खत्म हो चुका है। ऐसे में ये भूखंड उत्तर प्रदेश सरकार के होंगे। हालांकि, अफसरों के इस दावे को लेकर पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन इन्हें ध्यान में रखकर भी राजा बेतिया की संपत्तियों से संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है।