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प्रयागराज: मोबाइल-टैबलेट से लैस विवेचक मौके पर ही सुरक्षित करेंगे साक्ष्य, थानों में पहुंचे 510 डिवाइस

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। जनपद में विवेचक जल्द ही घटनास्थल पर ही साक्ष्य सुरक्षित करते नजर आएंगे। मौके पर ही वह मोबाइल में बतौर साक्ष्य तस्वीरें, वीडियो, ऑडियो को ई- साक्ष्य एप पर अपलोड कर सकेंगे। इसके लिए जनपद भर के थानों में लगभग 510 मोबाइल व टैबलेट उपलब्ध करा दिए गए हैं। औसतन 10 मोबाइल फोन तीन टैबलेट जनपद के प्रत्येक थानों काे उपलब्ध कराए गए हैं। तीन नए कानूनों के तहत इन मोबाइल व टैबलेट में ई साक्ष्य एप इंस्टाल होंगे और इस एप पर विवेचक किसी भी घटनास्थल पर जाने के बाद मौके पर ही साक्ष्य सुरक्षित कर सकेंगे।
दरअसल अभी तक साक्ष्यों को जुटाने के बाद उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सीडी, पेन ड्राइव आदि का इस्तेमाल होता रहा है। इन उपकरणों को मुकदमों में ट्रायल पूरा होने तक सुरक्षित रखना बेहद कठिन होता है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान इन साक्ष्यों को अदालत में पेश करना व वापस फिर लाकर सुरक्षित रखना भी बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
नए कानूनों के तहत सात साल से ज्यादा की सजा वाले प्रत्येक अपराध में जब्ती, तलाशी आदि की कार्रवाई की वीडियो रिकाॅड्रिंग भी अनिवार्य है। इसे बाद में साक्ष्य के रूप में अदालत में पेश किया जाता है। इसी को देखते हुए उप्र पुलिस में ई -साक्ष्य एप को लाने का निर्णय लिया गया। प्रयागराज में भी विवेचक जल्द ही इस एप पर काम करते नजर आएंगे। दरअसल थानों में इसके लिए मोबाइल व टैबलेट उपलब्ध करा दिए गए हैं। जनपद भर में लगभग 510 मोबाइल फोन आवंटित किए गए हैं। एडिशनल सीपी एन कोलांची ने बताया कि मोबाइल व लैपटॉप थानों को उपलब्ध करा दिए गए हैं।
साक्ष्यों की प्रमाणिकता की भी हो सकेगी जांच

इस एप के जरिए जुटाए गए सबूतों की प्रमाणिकता की भी जांच हो सकेगी। दरअसल एप के जरिए जो साक्ष्य एकत्रित किए जाएंगे, उनकी जियोटैगिंग भी होगी। यानी कि साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित किए जा रहे फोटो, वीडियो,एसएमएस आदि भौगोलिक डाटा जैसे अक्षांश व देशांतर आदि के साथ अपलोड किए जा सकेंगे। इससे जरूरत पड़ने पर साक्ष्यों की प्रमाणिकता की भी जांच की जा सकेगी। पुलिस अफसरों का कहना है कि यह मुकदमे की प्रभावी पैरवी में भी मददगार साबित होगा।

बाद में भी अपलोड कर सकते हैं साक्ष्य

पुलिस अफसरों ने बताया कि ई साक्ष्य एप के तहत हर विवेचक की अपनी लाॅगिन आईडी होगी। लाॅगिन करने के बाद वह मुकदमा अपराध संख्या दर्ज करेंगे और इसके बाद मुकदमे से संबंधित अन्य भौतिक साक्ष्यों को डिजिटल रूप में सुरक्षित कर सकेंगे। एप में विवेचना के दौरान बाद में सामने आने वाले साक्ष्यों को भी सुरक्षित रखने की भी सुविधा मिलेगी।

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