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नारी शक्तिः त्रि-सेना की पहली महिला नौकायन यात्रा पूरी, 11 वीरांगनाओं ने 55 दिन में लहरों पर रचा इतिहास

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मुंबई। भारत की पहली त्रि-सेना महिला नौकायन यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। 11 महिला अधिकारियों की टीम ने 55 दिनों में मुंबई से सेशेल्स और वापस 3,600 समुद्री मील की यात्रा की। कठिन समुद्री हालातों का सामना कर उन्होंने नारी शक्ति, सैन्य एकता और समुद्री कूटनीति का शानदार प्रदर्शन किया।

भारत के समुद्री और सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। देश की सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारियों की पहली त्रि-सेना नौकायन यात्रा बुधवार को सफलतापूर्वक समाप्त हो गई। मुंबई से सेशेल्स और फिर वापसी की यह ऐतिहासिक यात्रा करीब 55 दिनों में 3,600 समुद्री मील की दूरी तय कर पूरी की गई।

बता दें कि यह यात्रा 7 अप्रैल 2025 को आईएएसवी त्रिवेणी नामक भारतीय नौकायन पोत से शुरू हुई थी और 4 जून को मुंबई स्थित इंडियन नेवल वॉटरमैनशिप ट्रेनिंग सेंटर पर इसका समापन हुआ। इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल एके रमेश ने टीम का स्वागत किया।

टीम में शामिल थी 11 महिलाएं

इस यात्रा पर गई टीम में 11 महिला अधिकारी शामिल थीं, जिनमें थल सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा, मेजर करमजीत, मेजर तन्या, कैप्टन ओमिता, कैप्टन दौली और कैप्टन प्राजक्ता; नौसेना से लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका और वायुसेना से स्क्वाड्रन लीडर विभा, श्रद्धा, आरूवी और वैशाली शामिल थीं।

टीम ने कठिन समय का किया सामना

इस यात्रा के दौरान महिला अधिकारियों ने समुद्र की कठिन परिस्थितियों, मौसम की अनिश्चितता, उपकरणों की समस्या और थकान जैसे कई चुनौतियों का साहस और टीम भावना से सामना किया। साथ ही इसके साथ ही सेशेल्स में टीम ने कई राजनयिक और रक्षा कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिनमें देश के विदेश मंत्री, रक्षा प्रमुखों से मुलाकात और भारत के उच्चायुक्त के साथ बातचीत शामिल रही। इससे भारत-सेशेल्स संबंधों को मजबूती मिली और यह यात्रा ष्सॉफ़्ट पावर डिप्लोमेसीष् का प्रतीक भी बनी।

रक्षा मंत्रालय ने बताया नारी शक्ति का प्रतीक

इस मौके पर रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा महिला सशक्तिकरण (नारी शक्ति) का प्रतीक है और भारतीय सेनाओं में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। साथ ही, यह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और संयुक्त संचालन की मिसाल है। गौरतलब है कि इस दल का चयन सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त चयन प्रक्रिया से किया गया, जिसमें 41 में से केवल 11 अधिकारी चुनी गईं। चयन में शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता, नेतृत्व क्षमता और नौकायन कौशल की कड़ी परीक्षा ली गई।

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