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कामिका एकादशी व्रत से होता है सभी पापों का नाश

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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत करने का खास महत्व होता है। इसे करने से व्यक्ति के जीवन के दुख दूर हो सकते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, सावन में पड़ने वाली एकादशी का अधिक महत्व बताया गया है, जिसे कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है...

आज कामिका एकादशी है, लेकिन आज कामिका एकादशी के साथ ही सावन का दूसरा सोमवार भी है। सावन के महीने में जब हर ओर हरियाली और भक्ति का माहौल है तब कामिका एकादशी और सावन का दूसरा सोमवार होना एक अद्भुत संयोग है। कामिका एकादशी के साथ सावन का सोमवार होने से इस दिन का आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाता है तो आइए हम आपको कामिका एकादशी का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत करने का खास महत्व होता है। इसे करने से व्यक्ति के जीवन के दुख दूर हो सकते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, सावन में पड़ने वाली एकादशी का अधिक महत्व बताया गया है, जिसे कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है। हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा एवं भक्ति की जाती है। सनातन शास्त्रों में व्रत की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। साधक मनचाही मुराद पाने के लिए कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं।

कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, कामिका एकादशी तिथि का आरंभ 20 तारीख को दोपहर में 12 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रहा है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, उदय तिथि में व्रत करने का विधान बताया गया है। ऐसे में अगले दिन यानी 21 तारीख, सोमवार को कामिका एकादशी व्रत रखा जाएगा। वहीं, द्वादशी तिथि 22 तारीख, मंगलवार को सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। ऐसे में सुबह 7 बजे तक व्रत का पारण कर लेना सबसे उत्तम रहेगा। कामिका एकादशी का व्रत रखने से जातक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कामिका एकादशी का पारण समय

कामदा एकादशी का पारण 22 जुलाई को किया जाएगा। साधक 22 जुलाई को सुबह 05 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 05 मिनट के मध्य कर सकते हैं। इस दौरान भक्ति भाव से पूजा कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। इसके बाद अन्न और धन का दान कर व्रत खोलें।

कामिका एकादशी का शुभ योग भी है विशेष  

सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर वृद्धि और ध्रुव योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाएगा। भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

कामिका एकादशी पर ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार इस व्रत को रखने से एक दिन पहले जातक को चावल का त्याग कर देना चाहिए और अलगे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद, साफ वस्त्रों का धारण करें। कामिका एकादशी के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना सबसे उत्तम होता है। अगर ऐसा संभव न हो तो आप स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। इसके बाद, पूजा घर में पीले रंग का आसन बिछाएं और उस पर भगवान विष्णुजी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। अब विधि-विधान से पूजा और आरती करें। साथ ही, कामिका एकादशी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करें।

कामिका एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 

शास्त्रों के अनुसार बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक क्षत्रिय रहता था। एक दिन रास्ते में उसकी किसी बात पर एक ब्राह्मण से कहासुनी हो गई। बात बढ़ी और क्षत्रिय ने आवेश में आकर ब्राह्मण को धक्का दे दिया। दुर्भाग्यवश, ब्राह्मण गिरा और उसकी मृत्यु हो गई। घटना के कुछ ही समय बाद क्षत्रिय को अपने किए पर पछतावा हुआ। उसने ब्राह्मण के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली और गांव के लोगों से क्षमा भी मांगी। लेकिन गांव के पंडितों ने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, “तुम पर ब्रह्महत्या का दोष है। जब तक तुम इसका प्रायश्चित नहीं करते, हम कोई धार्मिक कार्य में शामिल नहीं होंगे।”

अब क्षत्रिय परेशान था। उसने बार-बार विनती की कि उसे कोई उपाय बताया जाए जिससे वह इस पाप से मुक्त हो सके। पंडितों ने उसे सलाह दी, “अगर तुम सच्चे मन से सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी, यानी कामिका एकादशी का व्रत रखो, भगवान विष्णु की पूजा करो, ब्राह्मणों को भोजन कराओ और दान दो तो तुम अपने अपराध से मुक्त हो सकते हो।” क्षत्रिय ने बिना देर किए व्रत की तैयारी शुरू की। उसने पूरे नियमों के साथ उपवास रखा, भगवान विष्णु की पूजा की, तुलसी अर्पित की और रात भर जागरण किया। उसी रात, उसे स्वप्न में भगवान विष्णु के दर्शन हुए। उन्होंने मुस्कराकर कहा, तुमने सच्चे मन से प्रायश्चित किया है। तुम्हारे पुण्य कर्मों और भक्ति से मैं प्रसन्न हूँ। अब तुम ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो चुके हो।

सुबह जब क्षत्रिय उठा, उसका मन शांत और हल्का था। गांव के लोग भी उसकी तपस्या से प्रभावित हुए और उसे फिर से स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि उसी दिन से कामिका एकादशी का व्रत विशेष पुण्यदायी माना जाने लगा। इस व्रत की कथा केवल सुनने भर से ही यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है और अगर सच्चे मन से किया जाए तो पाप भी धुल जाते हैं।

कामिका एकादशी व्रत के नियम भी जानें

कामिका एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही नियमों का ख्याल रखना जरूरी होता है। इसमें चावल का त्याग करना सबसे जरूरी होता है। दशमी तिथि से सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। साथ ही, व्रत के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और दिन में सोने से बचना चाहिए। कामिका एकादशी व्रत के दिन केवल फलाहार कर सकते हैं। विधि-विधान से व्रत करने से जातक को बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से उनकी विशेष कृपा जातक पर बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि आने लगती है।

कामिका एकादशी व्रत का महत्व

पंडितों के अनुसार कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख, शांति, समाजिक प्रतिष्ठा और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन यदि पूरी श्रद्धा और विधि से पूजा की जाए, तो पाप नष्ट होते हैं, और जीवन में स्थिरता आती है। विष्णु जी को कुछ विशेष वस्तुएं जैसे तुलसी, पीले फूल, फल और वस्त्र अर्पित करने से करियर, नौकरी और रिश्तों में भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।

कामिका एकादशी पर करें श्री विष्णु की स्तुति और मंत्र जाप 

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

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