नई दिल्ली। अप्रैल के महीने में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर सपरिवार आए थे। वो जब भारत आए थे तो पीएम मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार जगदीप धनखड़ उस वक्त इस जिद पर अड़े थे कि मैं उपराष्ट्रपति हूं और जेडी वेंस मेरे समकक्ष हैं तो मैं उनसे मिलूंगा। वेंस से उन्होंने उच्चस्तरीय बैठक करने की इच्छा जताई थी। फिर एक बड़े कैबिनेट मंत्री ने समझाया था कि जेडी वेंस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संदेश लेकर भारत आए हैं। ऐसे में पॉलिसीमेकर पीएम मोदी हैं तो उनका मिलना ही जेडी वेंस से सही है।
जब से देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है। कई सारी कहानियां सामने आ रही हैं। वहीं एक बड़ा खुलासा सूत्रों के हवाले से किया जा रहा है। पता चला है कि जगदीप धनखड़ ने सरकार से तीन डिमांड रखी थी। लेकिन वो तीनों ही मांग को मोदी सरकार ने ठुकराया और लास्ट में बात इतनी बिगड़ गई कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया। इस्तीफा हो गया और उनके दफ्तर के ऊपर ताला भी लगा दिया गया। उन्हें सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भी दे दिया गया है। लेकिन स्वास्थ्य का उन्होंने हवाला दिया वो बातें अब बेमानी लगने लगी है। जिस तरह से सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच तनाव की खबरें आ रही हैं। ऊपर से डिमांड को सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। वहीं कहा जा रहा है कि जगदीप धनखड़ दूसरे सत्यपाल मलिक हो सकते हैं। सरकार के पास कुछ ऐसी फाइलें हैं जो जगदीप धनखड़ से जुड़ी हुई हैं और हो सकता है आने वाले महीनों में वो फाइलें खुल जाए।
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति बनने के एक साल बाद से अपने कार्यालय और संसद टीवी में रिश्तेदारों की भर्ती शुरू की, जिससे विवादास्पद कारनामों का आरोप लगा। सूत्रों से पता चला है कि धनखड़ और सरकार के बीच कई मौकों पर तनाव रहा, खासकर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी कैंस की भारत यात्रा के दौरान यह उजागर हुआ। सूत्रों का दावा है कि धनखड़ ने खुद को भी उपराष्ट्रपति बताते हुए वैंस से उच्च-स्तरीय बैठक करने की इच्छा जताई।
अप्रैल के महीने में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर सपरिवार आए थे। वो जब भारत आए थे तो पीएम मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार जगदीप धनखड़ उस वक्त इस जिद पर अड़े थे कि मैं उपराष्ट्रपति हूं और जेडी वेंस मेरे समकक्ष हैं तो मैं उनसे मिलूंगा। वेंस से उन्होंने उच्चस्तरीय बैठक करने की इच्छा जताई थी। फिर एक बड़े कैबिनेट मंत्री ने समझाया था कि जेडी वेंस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संदेश लेकर भारत आए हैं। ऐसे में पॉलिसीमेकर पीएम मोदी हैं तो उनका मिलना ही जेडी वेंस से सही है।
जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रूके वे चाहते थे कि मंत्रियों के कार्यालय में जैसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की फोटो होती है। उनकी भी फोटो लगाई जाए। इसके अलावा धनखड़ ने अपने काफिले में मर्सिडीज बेंज कारों को शामिल करने की इच्छा जताई थी। या फिर वैसी कारें जैसा कि पीएम मोदी के काफिले में चलती हैं।
इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान व दो जजों के खिलाफ महाभियोग लाने के ऊपर उनकी जिद ने सरकार को इतना मजबूर कर दिया। चर्चा तो इस बात की भी थी कि दो जजों के खिलाफ धनखड़ ने महाभियोग लाने की तैयारी भले ही कर ली थी। लेकिन सोशल मीडिया के दावों की माने तो सरकार ने भी इनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर ली थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि सरकार के एक बड़े अधिकारी ने उन्हें खत भी लिखा कि हमारे पास सांसदों के हस्ताक्षर भी हैं। लेकिन फिर उन्होंने खुद ही इस्तीफा देना सही समझा। गौर करने वाली बात ये है कि अगर सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई इनपर की जाती तो जितनी सुविधाएं इन्हें मिलती हैं वो नहीं मिल पाती।
बीजेपी क्यों अपना राष्ट्रपति चाहती है
आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है। बीजेपी अब चाहती है कि उनकी अपनी ही पार्टी से कोई उपराष्ट्रपति बने। इस पूरे प्रकरण से सरकार की इमेज को भी डेंट लगा है। संसद की कार्यवाही शुरू हुई और पहले ही दिन उपराष्ट्रपति का इस्तीफा हो जाता है। ये भारत के लोकतंत्र के इतिहास में अपने आप में एकलौता अनूठा मामला है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का भी सभापति होता है। सरकार पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया। विपक्ष की तरफ से भी निशाना साधा जाने लगा। आपने कई खबर पढ़ी होगी की नीतीश कुमार से लेकर रामनथा ठाकुर और हरिवंश के नाम उपराष्ट्रपति को लेकर सामने आए। लेकिन बीजेपी अपनी ही पार्टी से उपराष्ट्रपति को चुनेगी। गठबंधन से चुने जाने की स्थिति में फिर किसी मसले पर कोई पेंच फंसता है तो वो सरकार के ही खिलाफ काम करने लग सकता है। इसी वजह से बीजेपी ने कोशिश शुरू कर दी है कि कोई ऐसा शख्स हो जो बीजेपी का हार्डकोर कार्यकर्ता हो उसे ही उपराष्ट्रपति बनाया जाए।