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प्रयागराज में गंगा और यमुना नदी उफान पर, खतरे के निशान के करीब नदियां

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में गंगा और यमुना उफान पर हैं। कछारी इलाकों के बाद बस्तियों में पानी बढ़ता जा रहा है। लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। नदियां कभी भी खतरे के निशान को पार कर सकती हैं। जलस्तर खतरे के बिंदु के नजदीक पहुंच गया है। प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में नाव चलाकर लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। फिलहाल जिले के आधा दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं जबकि करीब दो दर्जन मुहल्लों के लोग पलायन करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि प्रशासन ने तीन गांवों को ही पूरी तरह से प्रभावित माना है। 
सिंचाई विभाग की ताजा बुलेटिन के अनुसार गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। एक अगस्त की बुलेटिन के अनुसार दोपहर 12 बजे तक नैनी में यमुना का जलस्तर 83.81 मीटर रिकॉर्ड किया गया है। यहां पर खतरे का निशान 84.734 मीटर पर है। इसी तरह फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 83.48 मीटर दर्ज किया गया है जो खतरे के बिंदु 84.734 मीटर के काफी नजदीक है। यमुना 27 सेंटीमीटर और गंगा 26 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं।
केन, चंबल, बेतवा और गंगा व यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में एक बार फिर बाढ़ की आशंका पैदा हो गई है। वैसे प्रशासन अभी सिर्फ एक गांव को बाढ़ प्रभावित बता रहा है। बाढ़ की आशंका को देखते हुए जिले की 95 बाढ़ चौकियों को बुधवार से सक्रिय कर दिया गया है। गंगा, यमुना खतरे के निशान से करीब दो मीटर के नीचे हैं। हालांकि, लगातार जलस्तर बढ़ने से प्रशासन ने सभी आठ गेट बंद कर दिए हैं। जिले में प्रमुख गंगा, यमुना नदियां है। इसके अलावा टोंस, बेलन, वरुणा, मनसौता, ससुरखदेरी आदि नदियां हैं। इन नदियों के किनारे नगर की ओर बक्शी बांध, बेनी बांध, यमुना बांध नंबर एक व दो बनाए गए हैं।
इन बांधों का उच्चतम स्तर 89.50 मीटर रखा गया है जो वर्ष 1978 में आई बाढ़ के जलस्तर से अधिक है। नगर के निचले हिस्से में जल निकासी के लिए बक्शी बांध, मोरी गेट, बलुआघाट, चाचरनाला, मम्फोर्डगंज, राजापुर में पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इनसे जल निकासी कराई जाती है। बाढ़ सुरक्षा योजना के तहत बक्शी बांध पर पंप हाउस का निर्माण किया गया है। एडीएम विनीता सिंह ने बताया कि सभी गेट बंद कर दिए गए हैं। चिल्ला घाट पर 97.40 मीटर तक पानी पहुंच गया है। जबकि खतरे का लेवल 99 मीटर है। खतरे के निशान से सभी नदियां नीचे हैं। सामग्री वितरण के लिए एक नाव लगा दी गई है।
कैंट के गंगानगर की रहने वाली आठवीं की छात्रा अनुष्का अपनी पीठ पर जिम्मेदारियों की बोझ लिए परिवार के साथ शिविर में रहने के लिए पहुंचीं। उनके साथ पालतू जानवर भी थे। घर बाढ़ की चपेट में आने के कारण लोग राहत शिविरों में पहुंच रहे हैं। 
गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण पखवारे भर में ही झूंसी के कछारी गांवों के ग्रामीणों का संकट फिर बढ़ गया है। पिछले दो दिनों से कछार के तकरीबन डेढ़ दर्जन गांव चौतरफा बाढ़ से घिर गए हैं। प्रशासन की ओर से लगाई गई चार छोटी नावें ही ग्रामीणों के आवागमन का साधन बनी हुई हैं। औरैया के साथ ही पहाड़ों से आ रहे पानी के कारण गंगा-यमुना का जलस्तर पिछले तीन दिनों से रोजाना बढ़ रहा है।
बृहस्पतिवार को भी दिनभर तेजी के साथ जलस्तर बढ़ता रहा। रातभर में बदरा-सोनौटी मार्ग पर पानी डेढ़ से दो फीट तक बढ़ गया था। देखते ही देखते बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा, बहादुरपुर, गंजिया, हेतापट्टी, इब्राहिमपुर, खजुरी, फतेहपुर, एकलासपुर, मदारपुर, पैगंबरपुर, फैज्जुलापुर, सकरा, इब्राहिमपुर, शेरडीह, रहिमापुर समेत तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
करछना तहसील क्षेत्र में गंगा व टोंस के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए एसडीएम आकांक्षा सिंह ने बृहस्पतिवार को बाढ़ प्रभावित कछार क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान सभी कानूनगो, लेखपाल को क्षेत्र में मौजूद रहने के लिए निर्देशित किया। राहत शिविरों निरीक्षण करते हुए उन्होंने वहां पर तैनात लोगों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। निर्देशित किया गया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों की सुविधा को देखते हुए राजस्व की टीम मौजूद रहेंगी। और वह लोगों की हर संभव मदद करेगी। अगर जलस्तर और बढ़ता है तो लोगों को बढ़ राहत शिविर में भेजा जाएगा। शिविरों में रहने वालों के लिए खाने की व्यवस्था तहसील प्रशासन की ओर से की गई है। क्षेत्र के महेवा, कटका देहली भगेसर, भगनपुर, खजुरोल, बघेड़ा,अरैल, मवैया, मनैया, डीहा, लकटहा में बाढ़ से क्षेत्र प्रभावित हैं।

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