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चिनफिंग से 40 और पुतिन से 45 मिनट होगी पीएम मोदी की बात, ट्रंप के टैरिफ से लेकर रूस के तेल तक पर चर्चा संभव

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नई दिल्ली। अमेरिका का दबाव है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदे और चीन को लेकर कड़ा रवैया दिखाए। जापान व चीन की यात्रा पर गुरुवार (28 अगस्त) को रात सवा आठ बजे नई दिल्ली से रवाना हुए पीएम नरेन्द्र मोदी का जो कार्यक्रम है वह एक बार फिर स्पष्ट करता है कि उक्त दोनों दबावों का भारत ने दरनिकार कर कर दिया है।

अभी तक जो सूचना हासिल हुई है उसके मुताबिक एससीओ सम्मेलन की बेहद व्यस्तता के बावजूद राष्ट्रपति शी चिनफिुंग के साथ पीएम मोदी की 40 मिनट की मुलाकात का समय तय हुआ है। जबकि मोदी और पुतिन के बीच मुलाकात के लिए 45 मिनट का समय निर्धारित किया है।

ट्रंप दिया जाएगा सख्त संदेश

बताया गया है कि दोनों बैठकों का एजेंडा बहुत ही व्यापक है। इस मुलाकात को कई रणनीतिकार भारत की तरफ से ट्रंप प्रशासन को यह ठोस संकेत देने के तौर पर देख रहे हैं कि वह अपनी स्वतंत्र कूटनीति को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। मोदी की दो दिनों के अंतराल में पहले चिनफिंग से और बाद में पुतिन से मुलाकात तब होने जा रही है जब भारत के अमेरिका के साथ संबंध बहुत ही असहजता वाले हैं।

ट्रंप सरकार भारतीय आयात पर 50 फीसद का शुल्क लगा चुकी है जो दुनिया में किसी भी देश पर अमेरिका में लगाये जाने वाला सबसे ज्यादा शुल्क है। दूसरी तरफ भारत और चीन की सरकारें आपसी संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश में जुटे हैं। एक वर्ष के भीतर मोदी और चिनफिंग की यह दूसरी मुलाकात होगी।

कब-कब हुई पीएम मोदी और चिनफिंग की मुलाकात

वर्ष 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक सम्मेलन के बाद मोदी और चिनफिंग अक्टूबर, 2024 में कजान (रूस) में मिले थे। उसके बाद द्विपक्षीय संबंधों को लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच तीन बार, दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच दो बार बैठकें हो चुकी हैं।

चीन ने अमेरिका की तरफ से ज्यादा शुल्क लगाये जाने के तरीके ना सिर्फ कड़ी निंदा की है बल्कि भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने की बात भी कही है। सूत्रों के मुताबिक एससीओ में शामिल अन्य देशों के प्रमुखों के साथ चिनफिंग की मुलाकात का समय 20-30 मिनट रखा गया है जबकि मोदी के लिए 40 मिनट का समय निकाला गया है।

भारत आने वाले हैं व्लादिमीर पुतिन

इसी तरह से मोदी और पुतिन के बीच 45 मिनट की मुलाकात को भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगस्त माह में एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अलग अलग मॉस्को की यात्रा की थी। इन दोनों की राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात हुई थी।

पुतिन इस साल के अंत तक भारत भी आने वाले हैं। वह भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आएंगे। शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं के बीच व्यापक द्विपक्षीय सहयोग का एजेंडा तैयार हो रहा है। इसके बावजूद तियानजिन में मोदी और पुतिन की चीन में होने वाली मुलाकात को लेकर दोनों तरफ से जबरदस्त तैयारी चल रही है।

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