प्रयागराज (राजेश सिंह)। रक्षाबंधन पर्व के एक दिन पहले शहर के बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिली। राखी और मेहंदी की दुकानों पर सुबह से ही खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने और खुद के लिए मेहंदी लगवाने में जुटी रहीं। शहर के प्रमुख बाजारों जैसे सिविल लाइंस, कटरा, चौक, तेलियरगंज, फाफामऊ आदि में दिनभर चहल-पहल बनी रही। दुकानों पर लोगों की भीड़ देखते ही बन रही थी, जो देर शाम तक जारी रही।
इस वर्ष बाजारों में 10 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक की राखियां उपलब्ध रहीं। इन राखियों में परंपरागत धागों के साथ-साथ चांदी, चंदन, हैण्डमेड और थीम-आधारित राखियों का खासा क्रेज देखा गया। खाटू श्याम, लड्डू गोपाल, शिव-पार्वती ,रुद्राक्ष जैसे धार्मिक थीमों पर बनी राखियां लोगों को खूब लुभा रही थीं। वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिए टॉम एंड जेरी, स्पाइडर मैन, छोटा भीम, डोरेमोन आदि जैसे कार्टून थीम की राखियों की मांग सबसे ज्यादा रही। इन आकर्षक डिजाइनों वाली राखियों ने बच्चों को खासा आकर्षित किया।
मेहंदी की दुकानों पर भी बहनों की खासी भीड़ देखने को मिली। त्योहार की तैयारी में जुटी युवतियाँ और महिलाएं तरह-तरह की थीम पर मेहंदी लगवाने में व्यस्त नजर आईं। कुछ महिलाओं ने ट्रेडिशनल डिजाइन तो कुछ ने नाम और रक्षाबंधन स्पेशल आकृतियाँ बनवाना पसंद किया। बाजारों के कोनों में बैठे मेहंदी कलाकारों की भी अच्छी खासी कमाई हुई। कई दुकानों पर महिलाओं को अपनी बारी का इंतजार करते भी देखा गया।
इस त्योहारी उत्साह में मिठाइयों की दुकानों की भी खूब धूम रही। रसगुल्ला, गुलाब जामुन, काजू कतली, लड्डू, पेड़ा जैसी पारंपरिक मिठाइयों के अलावा चॉकलेट और ड्राय फ्रूट गिफ्ट पैक की भी खूब बिक्री हुई। लोगों ने अपने भाई-बहनों के लिए खास तौर पर मिठाई के सुंदर डिब्बे खरीदे। कई स्थानों पर मिठाई की दुकानों के बाहर लंबी कतारें देखने को मिलीं।
शहर के प्रमुख बाजारों में सुरक्षा और ट्रैफिक को लेकर पुलिस की तैनाती भी की गई थी। जगह-जगह पुलिसकर्मी और ट्रैफिक कंट्रोल कर्मी मौजूद रहे ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। इसके साथ ही बाजार संघों ने भी ग्राहकों की सुविधा के लिए पार्किंग और पेयजल की व्यवस्था कराई।
इस बार रक्षाबंधन पर बाजारों में आई बहार से व्यापारियों के चेहरे खिले नजर आए। दुकानदारों के अनुसार, इस बार की बिक्री पिछले वर्षों की अपेक्षा कहीं अधिक रही है। रक्षाबंधन से पहले का यह दृश्य न केवल भाई-बहन के पवित्र प्रेम को दर्शाता है, बल्कि भारतीय परंपरा, रंग-बिरंगे बाजार और सामुदायिक उत्साह की एक सुंदर तस्वीर भी प्रस्तुत करता है। शहर की गलियों और बाजारों में उमड़ी यह भीड़ इस बात का प्रमाण है कि आज भी त्योहारों की चमक और उनका उल्लास लोगों के दिलों में ज्यों का त्यों बना हुआ है।