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सिनेमा से कैसे जुड़े ट्रेलर के तार?

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बॉलीवुड लवर्स जितना फिल्मों का इंतजार करते हैं उतना ही उन्हें ट्रेलर का इंतजार भी रहता है। ट्रेलर फिल्मों के एक्साइटमेंट को और भी ज्यादा बढ़ा देता है और ढाई या तीन घंटे की फिल्म कैसी होगी इसकी एक झलक भी देता है। कई बार ट्रेलर से भी अंदाजा लग जाता है कि फिल्म कैसी बनी होगी। लेकिन क्या आपको पता है फिल्मों के ट्रेलर बनने की शुरुआत कब हुई?

मुंबई। ये तो सिर्फ ट्रेलर था...पिक्चर अभी बाकी है। ये डायलॉग तो आपने सुना ही होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेलर फिल्म की एक छोटी झलक दर्शकों को दिखा देता है। इससे एक तो फिल्म को लेकर एक्साइटमेंट बनी रहती है और दूसरा ट्रेलर से अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि फिल्म कैसी होगी।

हालांकि भारत में फिल्में बनने की शुरुआत 1913 में राजा हरिशचंद्र से हुई जिसे दादासाहेब फाल्के ने बनाया था, यह मूक फिल्म थी। इसके बाद धीरे-धीरे भारतीय सिनेमा का विकास हुआ और नई-नई चीजें इजाद होती गई। ब्लैक व्हाईट से कलर फिल्में, मूक से आवाज वाली फिल्में और भी बहुत कुछ। लेकिन उस वक्त किसी फिल्म का ट्रेलर नहीं बनाया जाता था। ट्रेलर की शुरुआत भारतीय सिनेमा में कई सालों बाद हुई।

इस फिल्म से हुई ट्रेलर बनने की शुरुआत

बॉलीवुड फिल्मों में ट्रेलर की शुरुआत 1981 में रिलीज हुई फिल्म नसीब से हुई। मेकर्स ने फिल्म की मार्केटिंग करने के लिए इसका ट्रेलर बनाया और फिल्म रिलीज होने से पहले इसे दूरदर्शन पर दिखाया था। ऐसा करने से फिल्म के लिए दर्शकों की एक्साइटमेंट भी बढ़ी और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन भी किया।

अमिताभ बच्चन ने किया था लीड रोल

इस मल्टीस्टारर फिल्म में अमिताभ बच्चन लीड रोल में थे और इसे मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट किया था। नसीब बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और इसे गानों को भी खूब पसंद किया गया, खासकर जॉन, जॉनी-जनार्दन...तारा रम पम पम। इसमें कई सुपरस्टार्स ने काम किया था। अमिताभ बच्चन के इस गाने में राकेश रोशन, रंजीता, प्रेम चोपड़ा, शक्ति कपूर समेत कई स्टार्स दिखाई दिए थे।

इस फिल्म को प्डक्इ पर 7.1 की रेटिंग मिली है और यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई थी और इसे तमिल और तेलुगु में भी रिलीज किया गया था। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ ऋषि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, अमजद खान, कादर खान, प्राण, हेमा मालिनी और रीना रॉय मौजूद थीं। इसकी कहानी कादर खान ने लिखी थी।

भले ही बॉलीवुड में ये ट्रेंड थोड़ा देरी से आया हो लेकिन इसके पहले 1900 के दशक की शुरुआत में ब्रॉडवे शो के निर्माता निल्स ग्रानलुंड ने थिएटर के आखिरी में आने वाली फिल्मों के लिए एक छोटा ट्रेल या एड दिखाने का आइडिया दिया। शुरुआत में इन एड या ट्रेल को फीचर फिल्म के बाद दिखाया जाता था इसीलिए इसका नाम ट्रेलर पड़ा।

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