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‘‘भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी..’’

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राम जन्म पर छाया उल्लास, गूंजे जय श्रीराम के नारे

मेजा, प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। गुरूवार को दूसरे दिन रामजन्म, मुनि विश्वामित्र का अयोध्या आगमन व ताड़का वध का रोमांचकारी मंचन पात्रों द्वारा किया गया। भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी...दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे। श्री रामलीला कमेटी सोरांव की ओर से आयोजित रामलीला महोत्सव में गुरूवार को श्रीराम जन्म की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। श्रीराम के साथ भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होते ही पूरी अयोध्या में हर्ष छा गया। चारों ओर जय-जयकार होने लगती है। हर कोई एक-दूसरे को बधाई देने लगता है। भगवान राम की आरती के साथ ही श्रीराम लीला का शुभारंभ हुआ। राजा दशरथ की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। प्रभु श्रीराम और उनके भाइयों के दर्शन को सभी लालायित हो उठे। प्रभु की खूबसूरती की चारों दिशाओं में गूंज होती है। साक्षात भगवान भोलेनाथ श्रीराम के दर्शन करने अयोध्यानगरी दौड़े चले आते हैं। प्रभु के दर्शन को इतने लालायित थे कि उन्होंने मदारी का रूप बना लिया। उनके मन में भाव था कि किसी भी तरह से प्रभु के दर्शन करें। प्रभु के दर्शन कर भोलेनाथ आनंदित हो उठे। रामलीला देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। रावण के अत्याचारों से पृथ्वी दहल उठी। देवता त्राहि-त्राहि करने लगे। साधु संतों और मानवों को रावण के अत्याचारों से मुक्ति के लिए विश्वामित्र अयोध्या पहुंचते हैं और वे राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण को मांगकर अपनी कुटिया की ओर चल देते हैं। रास्ते में राक्षसी ताड़का का वध करते हैं। विश्वामित्र की कुटिया में पहुंचकर राम-लक्ष्मण ने सुबाहू का वध कर मारीच को घायल कर छोड़ दिया। राजा दशरथ-संतोष कुमार उर्फ बाबा ओझा, विश्वामित्र-अखिलेश द्विवेदी, वशिष्ठ-श्री गणेश द्विवेदी, श्रृंगी ऋषि-सूरज पाण्डेय, भगवान विष्णु-अवधेश, राम-प्रियांशू द्विवेदी, लक्ष्मण-जय, भरत-मोहित, शत्रुघन-रूद्र, अग्निदेव-मोहित, समुंत-मुन्ना, तपोप्रिय और सीताशरण-धीरज और संदीप, राक्षसी ताड़का-रामसागर वर्मा, मारीच-शिवसागर, सुबाहु-सत्यम द्विवेदी। रामआसरे द्विवेदी के डायरेक्शन, प्रभाशंकर उर्फ रिंकू ओझा के संचालन व श्यामू शुक्ला के व्यासपीठ से सजी नौकारूपी रामलीला में संवाद अदायगी से पात्र चार चांद लगा रहे हैं।

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