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‘साथ नहीं आएंगे उद्धव और राज ठाकरे’, पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का बड़ा दावा; बोले- अगर ऐसा हुआ तो...

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मुंबई। पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की संभावना को खारिज करते हुए कहा है कि ऐसा होने पर उद्धव राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो जाएंगे और राज ठाकरे उनकी जगह शिवसेना (यूबीटी) के नेता बन जाएंगे।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रिभाषा नीति के बढ़ते विरोध के बीच प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी भाषा शुरू करने संबंधी दो सरकारी प्रस्तावों को रद किए जाने के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे मिलकर पांच जुलाई को एक विजय रैली करने जा रहे हैं।

मिट जाएगी उद्धव की पहचान

इसी संबंध में विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा सांसद नारायण राणे ने कहा कि उद्धव उन्हें (राज ठाकरे) को गठबंधन के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे। क्योंकि अगर राज ने उद्धव के साथ हाथ मिला लिया तो वह शिवसेना (यूबीटी) के नेता बन जाएंगे और उद्धव का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। राज ठाकरे भी कभी शिवसेना (यूबीटी) में शामिल नहीं होंगे। क्योंकि ऐसा कदम उठाने से उनकी वर्तमान पहचान मिट जाएगी।

कभी शिवसेना में रहते हुए मुख्यमंत्री रह चुके नारायण राणे ने कहा कि राज उद्धव से हाथ मिलाना चाहते हैं या नहीं, यह उनका निजी और पारिवारिक मामला है। हम (भाजपा) उनका मार्गदर्शन नहीं कर सकते। उन्होंने उद्धव की इस कथित टिप्पणी को खारिज कर दिया कि राज के शिवसेना छोड़कर मनसे बनाने के लगभग 20 साल बाद दोनों चचेरे भाइयों के बीच सुलह से भाजपा असहज हो रही है। उन्होंने कहा कि केवल दो भाई ही क्यों? सभी भाइयों को ले लीजिए। हमें कोई आपत्ति नहीं है। आज भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 235 विधायक हैं।

नारायण राणे ने साधा निशाना

राणे ने उद्धव पर अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बालासाहेब ने 48 साल में जो हासिल किया, उसे उद्धव ने महज ढाई साल में बर्बाद कर दिया। असली शिवसेना (उपमुख्यमंत्री) एकनाथ शिंदे की है। उन्होंने उद्धव पर मराठी लोगों के हितों के लिए केवल दिखावटी बातें करने का आरोप लगाया और मराठी गौरव के लिए उनकी अचानक उभरी चिंता पर सवाल उठाया।

राणे ने कहा कि आपके बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में गए। बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में किसका दाखिला हुआ? राणे ने दावा किया कि 1960 में मुंबई में मराठी लोगों की आबादी 60 प्रतिशत थी जो घटकर मात्र 18 प्रतिशत रह गई है। आपने मराठी मानुष के लिए क्या किया? उनके लिए न्याय के नाम पर क्या हासिल हुआ? ढाई साल तक उद्धव सत्ता में रहे लेकिन वह केवल दो बार मंत्रालय आए।

राणे ने उद्धव पर मराठी युवाओं को रोजगार देने में विफल रहने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि शिवसेना को मराठी लोगों ने समर्थन दिया और उसे मजबूत बनाया। लेकिन वफादारों के इस मजबूत आधार का इस्तेमाल केवल राजनीतिक अस्तित्व (ठाकरे परिवार) के लिए किया गया। और अब ये लोग (उद्धव) मराठी भाषा के त्यौहार मना रहे हैं। उद्धव को मराठी लोगों या हिंदुत्व की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

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