प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की समय से उपस्थिति तंत्र तैयार करने का आदेश दिया है ताकि गांव के गरीब छात्रों को शिक्षा मिल सके और उनके शिक्षा पाने के अधिकार सहित जीवन व समानता के अधिकारों की पूर्ति हो सके।
कोर्ट को बताया गया कि मुख्य सचिव इसी मुद्दे को लेकर आज बैठक कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 10 नवंबर नियत करते हुए जानकारी मांगी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी के गिरि ने अध्यापिका इंद्रा देवी व श्रीमती लीना सिंह चौहान की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि सरकार ऐसी नीति लागू करें जिससे विभागो में कर्मचारियों व शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की समय से उपस्थिति सुनिश्चित हो सके ताकि गांव के गरीब बच्चे शिक्षा पाने से वंचित न हो।
कोर्ट ने कहा देश की आजादी के बाद से सरकार ने जमीनी स्तर पर अध्यापकों की समय से स्कूल कालेज में उपस्थिति का तंत्र नहीं बनाया जिससे हाईकोर्ट में याचिकाएं आ रही। आज के तकनीकी युग में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समय से हाजिरी दी जा सकती है।यदि कोई कभी देरी से आता है तो दस मिनट की देरी की छूट दी जा सकती है बशर्ते यह आदतन न हो।सभी अध्यापकों को हर दिन तय समय पर संस्थानों में हाजिर होना चाहिए। कोर्ट ने सरकार को इसका ठोस हल निकालने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने याचीगण की पहली गलती और भविष्य में गलती न दुहराने के आश्वासन पर माफी दे दी। याची ने कहा भविष्य में वह पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करती रहेगी। कोर्ट ने याची के विरुद्ध की गई कार्यवाही रद्द कर दी।
