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‘गद्दी विरासत में मिलती है बुद्धि नहीं, अखिलेश ने साबित किया’

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गोरखपुर (राजेश शुक्ल/राजेश सिंह)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के दीपोत्सव में दीप जलाने को लेकर दिए बयान के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव को घेरा है। बयान को मिट्टी के शिल्पकारों और प्रजापति समाज का अपमान बताते हुए योगी ने उनके ऊपर गहरा तंज किया है।

कहा है कि अखिलेश ने यह साबित कर दिया है कि गद्दी विरासत में मिलती है, बुद्धि नहीं। अयोध्या में दीप जलाने के औचित्य पर सवाल उठाने वाले अखिलेश यादव को यह नहीं पता कि दीपोत्सव के लिए बनाए जाने वाले दीप से जहां प्रजापति समाज के लिए स्वावलंबन का मार्ग खुलता है, वहीं प्लास्टिक के उपयोग पर विराम लगाने का प्रयास भी सकारात्मक रूप से आगे बढ़ता है। मुख्यमंत्री मंगलवार की शाम दीपावली के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में शताब्दी वर्ष पर आयोजित श्विचार परिवार कुटुंब स्नेह मिलनश् कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सपा को राष्ट्रद्रोही, समाजद्रोही व सनातन द्रोही बताते हुए मुख्यमंत्री ने अतीत के एक संस्मरण को याद किया। कहा कि जब तीर्थ विकास परिषद अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के कार्य को आगे बढ़ा रहा था, तब अखिलेश यादव सैफई में दुर्याेधन की प्रतिमा स्थापित करने का ऐलान कर रहे थे। योगी ने रामभक्तों पर सपा सरकार के रुख को याद करते हुए इस चर्चा को आगे बढ़ाया। कहा कि रामभक्त अपने खिलाफ सपा सरकार के अभियान को कभी नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष रामलला का दर्शन करने के लिए रिकार्ड छह करोड़ लोग अयोध्या पहुंचे। यह पूरी दुनिया ने देखा।

योगी ने प्रयागराज महाकुंभ को लेकर सपा के रुख भी जिक्र किया। कहा कि वह आयोजन शुरू हुआ तो भी सपा के लोगों ने उसके खिलाफ नकारात्मकता फैलाने का कुत्सित प्रयास किया लेकिन जनता ने उनके इस प्रयास को ठुकरा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी जाति आधारित वैमनस्यता को बढ़ावा देने के लिए बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं। लव जेहाद और मतांतरण के लिए अभियान चला रहे हैं। ऐसे लोगों को रोकने की जरूरत है। इसके लिए समाज को भी आगे आना पड़ेगा।

राष्ट्र के विखंडन के लिए कार्य करने वाले लोगों को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि आज भी कालनेमी, शूर्पणखा और ताड़का जैसे लोग रूप बदलकर समाज में विद्वेष फैलाने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों को पहचानने और उन्हें नकारने जरूरत है। इस क्रम में उन्होंने बलरामपुर के छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन का जिक्र भी विस्तार किया और ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाने वाले और देश के लिए मर मिटने के लिए राणा सांगा, राणा प्रताप, छात्रपति शिवाजी ओर गुरु गोविंद सिंह जैसे महापुरुषों का नाम लिया। उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों में इस्लामिक राजनीति का खुलकर विरोध करने वाला योद्धा बताया।

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