Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile Aaradhya beauty parlour

देवउठनी एकादशी पर प्रयागराज में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

sv news


गंगा-यमुना घाटों पर स्नान, विधि-विधान से हुआ तुलसी विवाह

प्रयागराज (राजेश सिंह)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पर प्रयागराज में गंगा और यमुना घाट पर लाखों श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ी। बलुआघाट में लोगों ने स्नान कर पुरोहितों से विधिविधान से पूजन-अर्चन कराया। तुलसी विवाह में शामिल होकर पुण्य अर्जित किया।

प्रयागराज के विश्व प्रसिद्ध बलुआघाट पर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन अलर्ट रहा। भोर से ही यमुना घाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती रही। बलुआघाट के अलावा नैनी के अरैल घाट पर श्रद्धालु ने आस्था की डुबकी लगाई। देवउठनी एकादशी पर घाट के किनारे बनाये गये भीमसेनी की लोगो ने पूजा की। घाट पर भगवान सालिग्राम और तुलसी मईया के विवाह मे शामिल हुये। बाजे गाजे के साथ बारात आई और विवाह सम्पन्न हुआ।

जानिये देवउठनी एकादशी की क्या है मान्यता

शास्त्रों व मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु (सालिग्राम) आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के एकादशी वाले दिन झीरसागर में निद्रा के लिए जाते हैं। जहां वह चार मास विश्राम करते हैं। इन चार महीना में हिंदू धर्म के अनुसार मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। इसके पश्चात कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी वाले दिन भगवान श्री हरि विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं।

मंदिरो में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना कर शंख ध्वनि से उन्हें जगाया जाता है। इसके साथ ही साथ आज शाम में शालिग्राम पत्थर एवं माता तुलसी की पूजा (तुलसी के पौधे के रुप में) की जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं। इसी के चलते आज के दिन अधिकतर घरों के आंगन में तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा की जाती है।

उन पर वस्त्र आदि चढ़ाकर प्रतीकात्मक स्वरूप भगवान श्री हरि विष्णु से विवाह संपन्न कराया जाता है। इसे तुलसी विवाह कहते हैं। इसीलिए आज के दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसके बाद ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।


إرسال تعليق

0 تعليقات

Top Post Ad