Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile Aaradhya beauty parlour

महिला क्रिकेट की ऐतिहासिक जीतर: गुमनाम गुरुओं की कहानी, जिन्होंने गढ़ी चौम्पियन टीम

sv news

नई दिल्ली। महिला क्रिकेट की शानदार सफलता उन कोचों की प्रेरणादायक कहानी है जिन्होंने खिलाड़ियों के शुरुआती संघर्षों को देखा और उन्हें चौंपियन बनने में मदद की। पूनम वस्त्राकर से लेकर अमनजोत कौर और जेमिमा रोड्रिग्स तक, इन गुरुओं ने सुविधाओं की कमी और सामाजिक बाधाओं के बावजूद बेटियों को मैदान तक पहुँचाया, आत्मविश्वास दिलाया और उनकी प्रतिभा को निखारा, जिससे भारतीय महिला क्रिकेट ने इतिहास रचा।

हरियाणा के एक कोच को जब महिलाओं की टीम को ट्रेन करने की जिम्मेदारी दी गई तो वे पहले झिझक गए। वहीं मध्य प्रदेश में एक कोच इस सोच में थे कि उनकी अकादमी में अकेली लड़की दर्जनों लड़कों के बीच खेल पाएगी या नहीं। लेकिन उस लड़की ने खुद कहा, “सर, मैं कर लूंगी... क्या आप तैयार हैं?” हिमाचल प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जहां कोच शुरू में दूसरे राज्य की लड़की को शामिल करने में हिचकिचा रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने हामी भर दी।

किसी ने नहीं सोचा था कि जिन लड़कियों को वे ट्रेन कर रहे हैं, वही आगे चलकर भारतीय महिला क्रिकेट का इतिहास बदल देंगी और ऐसा पल लाएंगी, जिसे लोग पुरुष टीम की 1983 की जीत के बराबर मान रहे हैं। खिलाड़ियों ने ट्रॉफी जीतकर देश का नाम रोशन किया, लेकिन उनके पीछे खड़े रहे वो कोच, जिन्होंने सपने दिखाए, हौसला बढ़ाया और मुश्किल वक्त में भी मैदान तक पहुंचाया।

मध्य प्रदेश के शहडोल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पूनम वस्त्राकर भले ही चोट के कारण इस बार विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं थीं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने भारतीय टीम में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। उनके कोच अशुतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार पूनम को मैदान में देखा तो उन्हें लगा कोई लड़का खेल रहा है, क्योंकि पूनम ने लड़कों जैसे कपड़े पहने थे। उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैंने पूछा दृ बेटा, क्रिकेट खेलेगी? और वह तुरंत अकादमी में शामिल हो गई।”

वहीं अमनजोत कौर की कहानी पंजाब से शुरू होकर विश्व कप जीत तक पहुंची। उनके कोच नागेश गुप्ता ने बताया कि शुरुआत में अमनजोत केवल तेज गेंदबाज थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने बल्लेबाजी में भी खुद को साबित किया और एक शानदार ऑलराउंडर बन गईं। विश्व कप फाइनल में उनका प्रदर्शन निर्णायक रहा।

हिमाचल प्रदेश में एचपीसीए की महिला क्रिकेट अकादमी में कोच पवन सेन के मार्गदर्शन में रेनुका ठाकुर और हर्लीन देओल जैसी खिलाड़ी तैयार हुईं। पवन सेन बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने हर्लीन को पंजाब से आने की वजह से मना कर दिया था, लेकिन माता-पिता के आग्रह पर उन्हें मौका दिया। बाद में हर्लीन बल्लेबाजी में इतनी निपुण हुईं कि आज टीम की मुख्य बल्लेबाजों में से एक हैं।

बता दें कि जब जेमिमा रोड्रिग्स को टूर्नामेंट के बीच में टीम से बाहर किया गया, तो उन्होंने अपने बचपन के कोच प्रशांत शेट्टी से बात की। शेट्टी ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत रहने और छोटे-छोटे लक्ष्य तय करने की सलाह दी। नतीजा यह हुआ कि जेमिमा ने अगले ही मैच में शानदार 76 रन बनाए और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 127 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलकर भारत को जीत दिलाई।

गौरतलब है कि भारत में आज भी लड़कियों का क्रिकेट खेलना आसान नहीं है। कोचों को भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, चाहे वह खिलाड़ियों के परिवारों को मनाना हो, सुविधाओं की कमी हो या फिर अभ्यास के लिए समान माहौल बनाना हो। अमनजोत के कोच नागेश गुप्ता कहते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती लड़कियों को आत्मविश्वास दिलाना था, ताकि वे सहज होकर खेल सकें।

हरियाणा के कोच महिपाल, जिन्होंने शैफाली वर्मा के साथ काम किया, बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें महिलाओं की टीम को ट्रेन करने में डर लगता था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खुद को बदला और पूरी लगन से टीम तैयार की।

महिला क्रिकेट की इस जीत ने न केवल खिलाड़ियों का भविष्य बदला है बल्कि उन कोचों को भी नई पहचान दी है, जिन्होंने शुरुआत से ही इन खिलाड़ियों पर भरोसा किया। जैसा कि पवन सेन कहते हैं, “यह जीत मेरे कोचिंग करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है, एक सपना जो अब पूरा हुआ है।”

यह विश्व कप सिर्फ खिलाड़ियों की जीत नहीं है. यह उन गुरुओं की भी जीत है, जिन्होंने इन बेटियों के हाथ में बल्ला थमाया और कहा, “तुम कर सकती हो।” आज जब भारतीय महिला क्रिकेट नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है, तो इसमें उनके कोचों की मेहनत और समर्पण की गहरी छाप दिखाई देती है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गई है।

إرسال تعليق

0 تعليقات

Top Post Ad