प्रयागराज (राजेश सिंह)। तीस साल से ज्यादा की की सेवा देने वाले आईपीएस और पुलिसकर्मी अनुभव के खजाने हैं, पहले तो न मोबाइल फोन और ना ही डिजिटल ट्रैकिंग होता था, बावजूद इसके 90 फीसदी से अधिक अपराधों का खुलासा हो जाता था।
तीस साल से ज्यादा की की सेवा देने वाले आईपीएस और पुलिसकर्मी अनुभव के खजाने हैं, पहले तो न मोबाइल फोन और ना ही डिजिटल ट्रैकिंग होता था, बावजूद इसके 90 फीसदी से अधिक अपराधों का खुलासा हो जाता था। ये बात मत्स्य पालन, पशुपालन एवं पंचायती राज विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी एस बघेल ने कही।
होटल रामा कांटिनेंटल में रविवार को आयोजित उत्तर प्रदेश पुलिस पेंशनर्स कल्याण संस्थान 1982-83 बैचमेट रियूनियन कार्यक्रम में बघेल ने कहा कि 32, 35 या 37 साल की सेवा देने वाले ये अधिकारी अनुभव के खजाने हैं। इनके अनुभव से नई पीढ़ी के आईपीएस और पुलिसकर्मी बहुत कुछ सीख सकते हैं। उस दौर में मोबाइल फोन से लेकर डिजिटल ट्रैकिंग की इतनी खास तकनीक नहीं थी। बावजूद इसके अपराधों का खुलासा हो जाता था।
उन्होंने बैच के भाईयों को अपना साथी बताया और कहा कि ट्रेनिंग में अपने को मंत्री नहीं बल्कि अपने को कैडेट मानते हैं। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों से निरीक्षक से लेकर पुलिस उपाधीक्षक स्तर के 252 सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी शामिल हुए। वहीं, कई अधिकारियों ने गीत और कविता पाठ करके अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। इसके अलावा डॉ. सत्या सिंह ने कविता बहुत याद आते हैं पाकड़ वाली छाव, राम निहोर मिश्र ने मीरा का भजन जो मैं साजन पाऊं गाकर सभी मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन पुलिस पेंशनर्स कल्याण के अध्यक्ष ओपी दुबे ने किया।