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हिंदुत्व की पिच पर तेजी से दौड़ रहे राजा भैया

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बाबा बागेश्वर की सनातन यात्रा में उतरे, कितना चमकेगा सियासी ग्राफ?

प्रयागराज (राजेश सिंह)। कभी क्षत्रिय एकता के ध्वजवाहक, तो कभी बाहुबली की इमेज। बात कर रहे हैं रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की। राजा भैया अब हिंदुत्व की नई पिच पर अपनी सियासत को नया रंग देने में जुटे हैं। जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्सनातन हिंदू एकता पदयात्राश् में शामिल हुए।

धीरेंद्र शास्त्री की यह पदयात्रा दिल्ली से वृंदावन तक 7 से 16 नवंबर तक चलेगी। इस 10 दिवसीय यात्रा में राजा भैया श्जात-पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाईश् का नारा बुलंद करने पहुंचे थे। लेकिन सवाल है- क्या यह कदम राजा भैया की राजनीतिक पूंजी को मजबूत करना था?

भाजपा जैसी हार्ड कोर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी के रहते यूपी में क्या कोई क्षेत्रीय दल भी इस पिच पर सियासी ग्राफ चमका सकता है‌? 

कुंडा से निर्दलीय विधायक बनते रहे रघुराज प्रताप सिंह ने 2018 में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया। 2022 में वह पहली बार अपनी पार्टी से विधायक बने। कुंडा से निर्दलीय विधायक बनते रहे रघुराज प्रताप सिंह ने 2018 में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया। 2022 में वह पहली बार अपनी पार्टी से विधायक बने। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से कभी निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राजा भैया वर्तमान में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। विधानसभा में कांग्रेस के बराबर उनके 2 विधायक भी हैं। विधान परिषद में 1 एमएलसी भी उनकी पार्टी से है। राजा भैया की पार्टी ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था।

2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजा भैया खुलकर सनातन यात्रा और हिन्दुत्व पर बात कर रहे। कहते हैं- बिना हिंदुत्व और भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। आज भारत धर्म निरपेक्ष है, तो सिर्फ हिंदू बाहुल्य होने की है। जहां हिंदू कम हुआ, वहां का हाल देख लीजिए। जहां-जहां हिन्दू उदासीन होकर बैठे हैं, वहां-वहां से मिट गए।

उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण भी दिया। बताया कि पाकिस्तान में 27 फीसदी हिंदू सिमट कर 1 फीसदी रह गए। इसी तरह बांग्लादेश में 28 फीसदी हिंदू अब 8 फीसदी रह गए। भारत में जब तक हिंदू आबादी का बहुमत है, तभी तक सेकुलर है।

राजा भैया के इस सनातन अवतार को समझने के लिए दैनिक भास्कर ने उनकी राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले दो वरिष्ठ पत्रकारों और उनके करीबियों में शामिल एमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी से बात की।

राजा भैया और उनका परिवार हमेशा से हार्डकोर हिंदुत्व का समर्थक रहा है।

देश में दो ही धारा बह रहीं- पहलीरू सेकुलर, दूसरीः हार्डकोर हिंदुत्व की। राजा भैया हिंदुत्व की धारा के साथ आगे बढ़ रहे।

2027 के विधानसभा में अपनी पार्टी की राजनीतिक हैसियत को और मजबूत करना।

पारिवारिक पृष्ठभूमि कट्‌टर सनातन की रही है

वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह के मुताबिक, राजा भैया की छवि मीडिया अपने हिसाब से गढ़ती रहती है। उनकी और उनके परिवार की लाइन हमेशा से क्लियर है। क्षत्रिय हैं, इस कारण कभी ठाकुर चेहरा बना दिए जाते हैं, तो कभी बाहुबली।

जबकि, सच्चाई ये है कि उनका परिवार हमेशा से सनातन का कट्‌टर समर्थक रहा है। राजा भैया का परिवार देवरहा बाबा के अनन्य भक्तों में शामिल रहा है। गोरक्ष-पीठ से उनके परिवार का जुड़ाव रहा है। राम मंदिर आंदोलन से भी वे गहरे तक जुड़े हैं। महाकुंभ में भी वे कई अलग-अलग संतों से मिलते हुए दिखे थे।

मौजूदा सीएम योगी के सनातन और हिंदुत्व विचारधारा का जब-तब समर्थन करते रहते हैं। धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा में वे किसी राजनीतिक उद्देश्य के मकसद से शामिल नहीं हुए। सनातन के हर काम में उनकी भागीदारी देखी जा सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय भी सुरेश बहादुर सिंह की राय से इत्तफाक रखते हैं। कहते हैं- राजा भैया खुद धार्मिक मामलों में काफी ज्ञान रखते हैं। बातें भी तार्किक करते हैं। उन्होंने सनातन की बात कभी राजनीतिक फायदे के लिए नहीं की। हां, उनकी इस पहचान का उन्हें अपने क्षेत्र में राजनीतिक फायदा मिलता रहा है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

हिंदुत्व की धारा के साथ आगे बढ़ रहे राजा भैया

देश में दो ही धारा मौजूदा समय में बह रही है। पहली सेकुलर की और दूसरी हिंदुत्व की। राजा भैया भी हिंदुत्व की धारा के साथ ही आगे बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि वह सनातन के मुद्दे पर मुखरता के साथ अपनी बात रखते हैं। चाहे वह महाकुंभ में दिया गया, उनका वक्तव्य हो या फिर सनातन यात्रा को लेकर की गई उनकी अपील।

राजा भैया ने सनातन यात्रा से पहले सोशल मीडिया पेज पर वीडियो के जरिए इसे सफल बनाने की अपील की थी। तब उन्होंने कहा था कि बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री की अगुआई में दिल्ली से शुरू हुई इस सनातन यात्रा का मकसद सनातनियों में जागरूकता फैलाना, जातिवाद की जड़ें उखाड़ना और हिंदू एकता को मजबूत करना है। साथ ही यात्रा का उद्देश्य मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, मां यमुना की स्वच्छता जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।

उन्होंने खुद के लिए कहा था कि वह इस यात्रा में शामिल होते रहेंगे। फरीदाबाद में वह यात्रा में शामिल हुए और कहा कि जातिवाद हमारे हिन्दू समाज का सबसे बड़ा अभिशाप है, उसे दूर करना होगा। उन्होंने नारा दिया- जात-पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई।

राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं- राजा भैया जिस क्षत्रिय समाज से आते हैं, उसका यूपी में इतना आधार नहीं है कि सिर्फ उसके बलबूते वे अपनी राजनीतिक पहचान स्थापित कर पाएं। यूपी की पूरी राजनीति ही जाति पर आधारित है। ऐसे में जातीय राजनीति की धार को कुंद हिंदुत्व का प्रचंड वेग ही कर सकता है। राजा भैया की कोशिश भी यही है कि वे अपने परिवार की स्थापित छवि हिंदुत्व छवि के साथ आगे बढ़ें।

2027 में हार्ड कोर हिंदुत्व का कितना फायदा होगा?

इसका जवाब सुरेश बहादुर सिंह ने दिया। कहा कि फिलहाल भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर बहुत आगे बढ़ चुकी है। उसके रहते यूपी में किसी दूसरे की राजनीति हिंदुत्व की पिच पर उभरने की काफी कम उम्मीद है। राजा भैया अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में तो कामयाब हो सकते हैं। लेकिन, पूरे प्रदेश में अपनी पार्टी को स्थापित नहीं कर सकते।

सूत्रों की मानें तो राजा भैया का प्रभाव क्षेत्र प्रतापगढ़, कौशांबी आदि जिले हैं। इस क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन वैसे भी कमजोर रहता है। हो सकता है, 2027 में राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक भाजपा के नए सहयोगी के तौर पर सामने आ सकती है। हालांकि अभी इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। लेकिन, राजनीति संभावनाओं का खेल है। इसमें कुछ भी कभी भी हो सकता है।

राजा भैया से गठबंधन करना भाजपा के लिए अधिक फायदेमंद होगा। इसका गणित समझाते हुए आनंद राय बताते हैं- जाहिर-सी बात है कि जनसत्ता दल विधानसभा चुनाव में जरूर उतरेगी। तब उसके प्रत्याशी को जो भी वोट मिलेंगे, वो भाजपा को ही प्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाएंगे। जबकि गठबंधन होने पर भाजपा को सबसे अधिक फायदा हो सकता है। जब भाजपा को फायदा होगा तो जाहिर सी बात है कि राजा भैया को भी इसका फायदा मिलेगा ही।

राजा भैया कितने संत और महात्माओं से ले चुके हैं आशीर्वाद

राजा भैया 8 नवंबर को मीरजापुर में मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने गए थे। उनके सोशल मीडिया पेज पर इसकी फोटो पोस्ट है। इसके अलावा बेंती महल परिसर में विराजमान बजरंगबली की अक्सर पूजा करते हुए उनकी तस्वीर सामने आती रहती है।

धीरेंद्र शास्त्री की पहली सनातन यात्रा में भी वे शामिल हुए थे। तब ये यात्रा बागेश्वर धाम से ओरछा तक निकली थी। राजा भैया तब झांसी में इस यात्रा में शामिल हुए थे। तब बाबा ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था, ‘राजा भैया हनुमान भक्त और सनातन प्रेमी हैं। उनका स्वभाव विनम्र है और सनातन के लिए वे खूब सोचते हैं।’

प्रयागराज 2025 महाकुंभ में राजा भैया का देवकीनंदन ठाकुर, संतोष दास, चिन्मयदास बापू, ऋषि पाराशर, संत रामदास से आशीर्वाद लेते हुए फोटो और वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। प्रयागराज महाकुंभ पर सवाल उठाने वाले विपक्षियों पर खासकर सपा पर उन्होंने सदन में भी जोरदार हमला बोला था।

राजा भैया ने राम मंदिर निर्माण के लिए 4-5 करोड़ का गुप्त दान दिया था। यहां तक कि 2022 विधानसभा चुनाव में अयोध्या में रामलला के दर्शन कर अपनी यात्रा शुरू की थी।

2024 में पट्टी करमाही में राघवाचार्य महाराज की भागवत कथा, सितंबर 2025 में पटौवा हाथीगांव में देवव्रत महाराज, अक्टूबर 2025 में प्रतापगढ़ कुंडा में राजन जी महाराज और रामापुर में राजेश शुक्ल महाराज की कथाओं में पहुंचे थे।

महाकुंभ में राजा भैया के इस बयान की सबसे ज्यादा चर्चा

महाकुंभ में राजा भैया ने कौशल महाराज के पंडाल में श्रद्धालुओं के बीच वक्तव्य दिया था। राजा भैया ने कहा था- हमें चिंता करनी चाहिए, जिस स्थिति में हमारा सनातन धर्म है। हमारे देश में राष्ट्रविरोधी शक्तियां, हिंदुत्व विरोधी शक्तियां अपना सर उठा रही हैं। हिन्दू जीवन शैली का लॉस हो रहा है।

आप कल्पना करके देखिए, आज एक नहीं कई स्थानों पर चाहे वह मां दुर्गा विसर्जन यात्रा हो या हनुमान जन्मोत्सव की यात्रा हो हर जगह हिंदुओं पर पथराव हो रहा है। हिंदू मारा जा रहा है। क्योंकि एक वर्ग है, जो चाहता है कि सनातन समाप्त हो। इसलिए हम सबको बहुत मुखर होकर स्वयं आगे आना होगा। अपनी आने वाली पीढ़ी और बच्चों को धर्म के प्रति जागरूक करना होगा।

सनातन धर्म सिर्फ यही नहीं है कि हम अपने पुण्यार्जन या अपने मोक्ष का मार्ग ढूंढे। सनातनियों का सच्चा दायित्व यही है कि सनातन दृढ़ स्थिति में रहे। जातिवाद तो राजनीतिक दलों का सनातन को कमजोर करने और अपने लाभ के लिए हिंदुओं को बांटने का एक षड्यंत्र है। हम लोगों को इससे भी सजग रहना होगा।

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