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कराह रहा था बुजुर्ग, नहीं दिखी किसी में संवेदना, नहीं पहुंचे स्वयंसेवी संस्था के लोग

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। सड़क पर श्अपनोंश् की प्रतीक्षा में और बीमारी से कराहते बुजुर्ग हसन की पीड़ा अनदेखी हो गई। मानवीय संवेदनाएं तिल-तिल कर दम तोड़ती रहीं। पूरे दिन शहर के जानसेनगंज के पास स्थित एक होटल के नीचे हसन पहले जैसी स्थिति में रहते हुए भूख-प्यास से बेहाल रहे।

संक्रमण के डर से कोई बुजुर्ग के पास भी नहीं फटका

बेटे, परिवार के सदस्य क्या, समाजसेवा का दंभ भरने वाले लोग तक असल सेवा से दूरी बनाए रहे। बुजुर्ग का इलाज कराने को स्वास्थ्य विभाग संवेदनहीन रहा। आसपास के दुकानदारों का दिल पसीजा तो हसन के पास चाय पहुंचा दी, संक्रमित न हो जाएं इस डर से कोई पास नहीं फटका।

एसआरएन अस्पताल में लावारिस मरीजों के लिए है वार्ड 

शहर में समाजसेवी संस्थाओं की भरमार है। यह चिकित्सकों का शहर भी है। सरकारी अस्पतालों में व्यापक स्वास्थ्य प्रबंध और स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) चिकित्सालय में लावारिस मरीजों के लिए एक अलग वार्ड भी है। इतना कुछ होने के बावजूद हसन के लिए मदद के एक हाथ नहीं बढ़े। स्थानीय लोगों न बतकही में दिन गुजार दिया।

सीएमओ का आश्वासन बेदर्दी की भेंट चढ़ गया

हसन की परिस्थिति उजागर होने के बावजूद सुबह से शाम तक कोई मददगार नहीं पहुंचा। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. एके तिवारी के संज्ञान में मामला पहुंचाने पर आश्वासन मिला था कि एंबुलेंस भेजकर इलाज के लिए अस्पताल भेजा जाएगा। आखिर आश्वासन बेदर्दी की भेंट चढ़ गया।

रात तक उसी पलंग पर पड़े रहे हसन

रविवार को रात तक हसन उसी पलंग पर पड़े रहे। दोपहर में फटे पुराने तिरपाल की छावनी से चेहरे को ढंके रहे ताकि धूप न लगे। शाम होते ही गंदे मैले कंबल में सिकुड गए। बेटे तो दूरी बनाए ही रहे, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, प्रशासनिक अफसर भी श्संडेश् मनाते रहे।

क्या कहते हैं सीएमओ

सीएमओ डा. एके तिवारी का कहना है कि अधीनस्थ अधिकारियों से कहा था कि बुजुर्ग को अस्पताल भेजवाएं। 108 नंबर एंबुलेंस सेवा को भी जानकारी दी थी। आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ, इसे सोमवार को संबंधित लोगों से पूछेंगे।

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