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बिहार के चुनावी अखाड़े में चित-पट होते यूपी के मुद्दे

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लखनऊ। बिहार की धरती पर चुनावी रैलियों की शृंखला में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फेस वैल्यू कितनी असरदायक होगी, यह तो परिणाम आने पर पता चलेगा किंतु सामाजिक, राजनीतिक और देश में भागीदारी या हस्तक्षेप के स्तर पर श्अवधश् और श्मगधश् की सहयात्रा नई नहीं है। अपने संबोधन में योगी यदि स्वयं के बुलडोजर माडल पर तालियां बटोर रहे थे तो त्रेता युग में बनी राम-सीता की जोड़ी के बहाने सीतामढ़ी और अयोध्या के संबंध भी साध रहे थे।

बिहार की सभा में योगी जो बोल रहे थे, उसके गहरे निहितार्थ उत्तर प्रदेश में फलित भी हुए। लोकतंत्र की जननी में उन्होंने ओज भरा था-ष्जो लूटेगा, उसका सब कुछ छिन जाएगा, उसकी संपत्ति गरीबों के घर बनाने में लगेगी।ष् इस बयान के तुरंत बाद ही योगी ने लखनऊ के डालीबाग क्षेत्र में माफिया मुख्तार अंसारी के कब्जे से खाली कराई गई जमीन पर बनाए गए 72 फ्लैट अल्प आय वर्ग के लोगों को बांटे। इससे पहले माफिया अतीक अहमद के कब्जे से मुक्त कराई गई जमीन पर भी ऐसी ही पटकथा लिखी गई थी।

इन सबके बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी मैदान में सपा का कोई उम्मीदवार नहीं होने के बाद भी डटे रहे। चुनावी अखाड़ा भले ही बिहार की भूमि पर है पर यूपी के नेताओं की जुबानी कुश्ती में उत्तर प्रदेश के मुद्दे भी चित-पट खूब हुए हैं। तभी तो अखिलेश ने भी तंज कसा- ष्हमारे एक रंग के मुख्यमंत्री का शौक सिर्फ नाम बदलना हैकृशहरों, योजनाओं, यहां तक कि खुद का भी। उन्होंने सब बदला, मगर प्रदेश की हालत नहीं। उत्तर प्रदेश की जनता जल्द ही उन्हें भी बदल देगी।ष् अखिलेश ने यूपी के संदर्भ से जुड़ा आरोप बिहार की सभा में लगाया कि भाजपा सरकार विकास माडल की नकल भी ठीक से नहीं कर सकी।

महागठबंधन के नेताओं को योगी आदित्यनाथ ने बिहार के चुनावी अखाड़े में पप्पू, टप्पू और अप्पूष् कहकर ललकारा। यह नैरेटिव भी गढ़ा कि कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में भगवान राम के अस्तित्व से इन्कार किया था, समाजवादी पार्टी की सरकार ने अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलवाई और राजद ने लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी थी। धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का उल्लेख करते हुए योगी ने कहा कि- देवी जानकी की पवित्र भूमि बिहार सभी को रामराज्य का संदेश दे रही है। जिन लोगों ने राम का विरोध किया वे मिथिला (बिहार में) और देश के भी विरोधी हैं।

अखिलेश भी सधी चाल चलते रहे। अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूला के तहत ही बिहार की कुछ सीटों पर उनकी जनसभा भी हुई। अल्पसंख्यक एजेंडा के तहत ही अखिलेश सिवान में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के चुनाव क्षेत्र रघुनाथपुर के हुसैनागंज में रंग भरते दिखे। अखिलेश के साथ यहां तेजस्वी यादव भी थे। यूपी का एजेंडा परोसने में अखिलेश पीछे नहीं रहे। बिहार की सभाओं में उनके बोल थे-श्आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे उनकी (अखिलेश की) दृष्टि थी, जहां हर्क्यूलिस विमान भी उतरा। भाजपा द्वारा बनाई गई गोरखपुर तक की सड़क इतनी घटिया है कि उस पर चलने से कमर दर्द हो जाता है।

यूपी के बलिया जिले के बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी और राजद दोनों को घेरा भी। बलिया के प्रभावती देवी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नाम लेते हुए जो लोग उनके वारिस होने का दावा करते हैं, वे उनकी पत्नी के नाम पर अस्पताल तक नहीं बना सके, पर हमने बनाया। हल्दिया से अयोध्या तक अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजना के बहाने भी यूपी से बिहार को कनेक्ट किया और यह भी याद कराया कि केंद्र ने अयोध्या से सीतामढ़ी (जहां जानकी मंदिर निर्माणाधीन है) तक चार लेन सड़क के लिए छह हजार करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।

योगी ने उत्तर प्रदेश और बिहार के गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा, दोनों राज्यों का रिश्ता रोटी-बेटी का है, जो त्रेता युग से चला आ रहा है। कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनवाने का वादा पूरा किया। विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की तेज प्रगति को देखने और महसूस करने में असमर्थ है। बोल थे-वे न तो विकास देख पा रहे हैं और न ही भारत की प्रगति की खुशबू महसूस कर पा रहे हैं।

अखिलेश यादव ने कल्याणपुर (पूर्वी चंपारण), रघुनाथपुर (सिवान), महाराजगंज और भभुआ (कैमूर) में जनसभाएं कीं। उनकी 23 सभा बिहार में हुई। नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए अखिलेश बोले-श्चुनावी दूल्हा अब हार मान चुका है। उन्होंने पटना शो में भी हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि उन्हें पता चल गया कि भाजपा की चालें अब जनता के सामने आ चुकी हैं।श् रघुनाथपुर में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के लिए युवा उम्मीदवार के नाम पर तो वोट मांगा ही, साथ ही यह भी जोड़ा कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हम 2027 में उत्तर प्रदेश में भी ऐसा गठबंधन बनाएंगे। बिहार और यूपी को एक्सप्रेसवे के जरिये जोड़ेंगे, दिल्ली तक सीधा संपर्क बनाएंगे। बहरहाल, 14 नवंबर को जब बिहार की सियासत का भविष्य मतपत्रों के माध्यम से दिए गए जनादेश के रूप में सामने आएगा तो यूपी में भी राजनीतिक रंगत और तेजी से बदलने लगेगी।

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