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हेड कांस्टेबल 'धीरज यादव साहब 'के 'इश्क़' की ड्यूटी ! यूपी 'पुलिस' का "जंग-ए-मोहब्बत" एपिसोड !

SV News

भदोही (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में, जहां गंगा की लहरें भी शर्म से डूब मरें, वहां हमारे हीरो ,नहीं, एंटी-हीरो, हेड कांस्टेबल धीरज यादव साहब ने कमाल कर दिखाया। 112 की ड्यूटी पर तैनात यह जांबाज़, बेगैर नंबर प्लेट की बाइक पर सवार होकर, शराब की की बोतलें और प्रेमिका के लिए देश सारे नए कपड़े लेकर घर पहुंच गए। और क्या, "मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता" कहते हुए दरवाजा खटखटाया, लेकिन जवाब मिला ,लात-घूंसे का सालन! फिल्मी डायलॉग की बात करें तो धीरज भाई ने तो शाहरुख खान को टक्कर दे दी। कल्पना कीजिए, नशे में धुत्त होकर बाइक स्टार्ट करते वक्त गुनगुनाते होंगे ,"एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी, तो मैं अपने आप की भी नहीं सुनता!" लेकिन प्रेमिका के परिजनों ने जवाब दिया अमिताभ बच्चन स्टाइल में: "तुम्हारा नाम क्या है, बसंती, नहीं, धीरज यादव, आज के बाद तेरा नाम होगा ,सस्पेंडेड!" और पीटते वक्त चिल्लाए होंगे , "मोगैंबो खुश हुआ!" नहीं, सॉरी, मोगैंबो तो विलेन था, यहां तो घरवाले ही विलेन बन गए। धीरज साहब की हालत देखकर लगता है, सलमान खान का डायलॉग फिट बैठता: "भाई, एक बार जो मैंने मारपीट कर दी, तो मैं अपने आप की भी नहीं सुनता!" उल्टा हो गया न, अरे योगी बाबा की यूपी पुलिस, जो अपराधियों को एनकाउंटर में उड़ा देती है, वो अपने ही हेड कांस्टेबल को प्रेमिका के घरवालों से नहीं बचा पाई! ये क्या हो रहा है भाई! 112 पर तैनात जांबाज़, जो फोन उठाते ही "हैलो, पुलिस कंट्रोल रूम" बोलते हैं, वो खुद शराब पीकर बाइक चला रहे हैं , बिना नंबर प्लेट! ट्रैफिक पुलिस कहां सो रही थी, या ये "वर्दी का रौब" था कि "नंबर प्लेट लगाओगे तो इश्क़ कैसे छिपेगा!" एसपी साहब ने तो एक्शन ले लिया , निलंबन! वाह, क्या तेज़ी! लेकिन सवाल ये है, शराब कहां से आई, ये नियमावली विरुद्ध आचरण नहीं, तो क्या "आशिकी विरुद्ध आचरण" है! सरकार जी, आप बुलडोज़र चलाते हो गुंडों पर, लेकिन अपने पुलिसवालों की "जंग-ए-मोहब्बत" पर क्यों चुप्पी! क्या ये "लव जिहाद" का उल्टा वर्जन है , "पुलिस जिहाद इन लव"! और मारपीट करने वालों पर FIR ! अच्छा जी, दोनों तरफ एक्शन! लेकिन असल सवाल, यूपी पुलिस की ट्रेनिंग में "इश्क़बाज़ी 101" का कोर्स क्यों नहीं है!वहां सिखाओ ना , "ड्यूटी पर नशा मत करो, वरना घरवाले एनकाउंटर कर देंगे!" धीरज भाई अब अस्पताल में होंगे, सोच रहे होंगे सनी देओल का डायलॉग: "ये धाई किलो का हाथ नहीं, प्रेमिका के परिजनों का जूता है!" सरकार से निवेदन, अगली बार ऐसे केस में "प्रेमिका प्रोटेक्शन स्क्वॉड" बनाओ, वरना पुलिस वाले ही "बेवफा" हो जाएंगे, ड्यूटी से ! यूपी में अपराध कम हो रहे हैं, लेकिन पुलिस का "पर्सनल क्राइम" बढ़ रहा है। योगी जी, बुलडोज़र निकालो , लेकिन इस बार इश्क़ की बाइक पर! वरना जनता पूछेगी: "कहां हो राजा साहब, पुलिस को बचाओ!" हंसते-हंसते सोचो, ये ड्रामा बॉलीवुड को बेच दो , टाइटल, "धीरज लव इन यूनिफॉर्म !"दिल टूटा, वर्दी उतरी,पुलिस वाले भी इंसान हैं, लेकिन ड्यूटी याद रखो भाई ! 


 


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