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वंदे मातरम्ः बंगाली अस्मिता से जोड़कर हिंदुओं को साधने की कोशिश में जुटी बीजेपी; टीएमसी ने क्यों साधी चुप्पी?

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कोलकाता। वंदे मातरम् को लेकर शुरु हुआ विवाद आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरा होने पर मोदी सरकार के साथ-साथ भाजपा साल भर पूरे देश में बड़े आयोजन की तैयारी में है।

इनमें भाजपा अकेले पश्चिम बंगाल में 1100 स्थानों पर राष्ट्रगीत के मूल स्वरूप के सामूहिक गान करेगी। मूल पाठ में भारत माता की ोहदू देवी के रूप में प्रार्थना के मुस्लिम समुदाय के विरोध को देखते हुए ही 1937 में कांग्रेस के महाधिवेशन में उन पंक्तियों को निकालने का फैसला किया गया था। मूल स्वरूप के पाठ को लेकर पश्चिम बंगाल में भी मुसलमानों की आपत्ति की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पीएम मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर लिया

इसे देखते हुए तृणमूल कांग्रेस ने पूरे विवाद पर चुपी साध रखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में इसके स्वरूप में छेड़छाड़ करने को लेकर कांग्रेस पर निशाने पर लिया हो, लेकिन इसका असली असर पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। अगले साल अप्रैल में पश्चिम बंगाल चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा ने वंदे मातरम् को बंगाली अस्मिता से जोड़ते हुए बड़ी तैयारी शुरू कर दी है।

वंदे मातरम राष्ट्रीय अस्मिता के साथ-साथ बंगाली अस्मिता से जुड़ा हुआ है। बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखा व रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया वंदे मातरम् न सिर्फ 1905 के बंगाल विभाजन, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज बना था। जाहिर है 30 मुस्लिम आबादी वाले पश्चिम बंगाल में वंदे मातरम् के मूल स्वरूप का स्वीकार और विरोध दोनों तृणमूल कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा पहले से हिंदू वोटबैंक को साधने की कोशिश में जुटी है।

लेकिन बंगाली अस्मिता के कार्ड के सहारे ममता बनर्जी इसे रोकने में अभी तक सफल रही हैं। भाजपा भले ही 2016 के तीन की तुलना में 2021 में 77 सीटें जीतकर विधानसभा चुनाव में लंबी छलांग लगाई हो, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के 215 सोटों की तुलना में काफी पीछे हैं। लोकसभा और विधानसभा के पिछले तीन चुनावों में भाजपा 40 फीसद के आंकड़े के आसपास पहुंचती रही है।

वहीं तृणमूल को 43 से 48 फीसद तक वोट मिलता रहा है। ऐसे में वोटों का थोड़ा भी ध्रुवीकरण तृणमूल कांग्रेस की चुनावी गणित को बिगाड़ सकता है। वंदे मातरम् की काट तृणमूल कांग्रेस ने “बांग्लार माटी, बांग्लार जोलश्श् गीत का गायन सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में अनिवार्य कर दिया है। इस गीत को पश्चिम बंगाल में राज्यगीत का दर्जा दिया गया है। लेकिन दार्जलिंग के इलाके में इसके विरोध को देखते हुए वहां के स्कूलों को इससे छूट दी गई है।


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