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यात्रीगण कृपया ध्यान दें...दिल्ली-हावड़ा रूट की सभी ट्रेनें 5-6 घंटे लेट चल रही

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प्रयागराज (राजेश सिंह)। घने कोहरे ने लगातार सातवें दिन रेल यात्रियों के समय पर स्टेशन पहुंचने के सपने को चकनाचूर कर दिया है।  दिल्ली-हावड़ा रूट पर सुबह से ही ट्रेनों का संचालन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रयागराज जंक्शन पर पहुंचने वाली लगभग सभी ट्रेनें 5 से 6 घंटे की भारी देरी से परेशान हो रही हैं।

यात्री स्टेशन पर ठिठुरते हुए इंतजार कर रहे हैं, जबकि रेलवे की ओर से कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही। सुबह 6.20 बजे प्रयागराज पहुंचने वाली नई दिल्ली-प्रयागराज हमसफर एक्सप्रेस अब दोपहर 12 बजे के आसपास ही जंक्शन पर पहुंच पा रही है। यानी यात्रियों को करीब 5 घंटे 40 मिनट का इंतजार! इसी तरह प्रयागराज एक्सप्रेस, जो सुबह 7 बजे पहुंचने वाली थी, अब साढ़े 12 बजे के बाद ही स्टेशन पर दस्तक देगी। ट्रेन साढ़े पांच घंटे से ज्यादा की देरी।

कोहरे का कहर शिवगंगा एक्सप्रेस पर भी पड़ा। भोर में 3.45 बजे पहुंचने वाली यह ट्रेन सुबह 9.30 बजे के बाद ही प्रयागराज आई। रीवा सुपरफास्ट भी सुबह 6.10 की जगह 10.56 बजे जंक्शन पर पहुंची। वंदे भारत ट्रेनों का हाल तो और भी खराब है। शनिवार रात 9.11 बजे आने वाली वंदे भारत रविवार की सुबह 3.43 बजे पहुंची।

वहीं रविवार दोपहर 12 बजे आने वाली 22436 वंदे भारत अब ढाई बजे के आसपास ही प्रयागराज पहुंच पाएगी। यानी घंटों की देरी! यात्रियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। कई लोग ठंड में स्टेशन पर बैठे हैं, कई बच्चों के साथ परेशान। कोई कह रहा है कि ष्रेलवे को पहले से ही कोहरे की चेतावनी जारी करनी चाहिए थीष्, तो कोई चिल्ला रहा है ष्कम से कम गाड़ी में हीटिंग तो ठीक से चलाई जाए!ष् लेकिन रेलवे की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

रेल विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय कोहरे की तीव्रता इतनी ज्यादा है कि लोको पायलटों को सिग्नल देखने में दिक्कत हो रही है। जिसके चलते ट्रेनें धीमी रफ्तार से चल रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या रेलवे के पास कोहरे से निपटने का कोई ठोस प्लान नहीं है? हर साल दिसंबर-जनवरी में यही हाल होता है, फिर भी यात्रियों को बार-बार झेलना पड़ता है।

प्रयागराज जंक्शन पर सुबह से ही यात्रियों की भीड़ जमा है। कई लोग कह रहे हैं कि अब वे ट्रेन छोड़कर बस या फ्लाइट का सहारा लेंगे। लेकिन सवाल उठता है कि क्या रेलवे इस बार कोहरे के आगे घुटने टेक लेगी या कोई ठोस कदम उठाएगी ? यात्रियों की ये परेशानी कब तक चलेगी, इसका जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है।

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