स्त्री मन की संवेदनशील कहानी, प्रेम, पीड़ा और पहचान की कथा
प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में ‘तुमने क्यों कहा था मैं ख़ूबसूरत हूँ’ नाट्य प्रस्तुति का दो दिवसीय उत्सव सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। एक्स्ट्रा एन ऑर्गनाइज़ेशन और कम्युनिटी थिएटर टोंक के संयुक्त तत्वावधान में यह नाटक स्टूडियो थिएटर, मुट्ठीगंज में मंचित किया गया। कुल चार शो आयोजित हुए, जिन्हें दर्शकों की अच्छी उपस्थिति और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
रंगकर्मी हरमेन्द्र सरताज द्वारा निर्देशित इस नाटक की कथा एक स्त्री के प्रेम, उसकी भावनाओं और आंतरिक द्वंद्व पर केंद्रित है। कहानी अस्पताल के परिवेश में घटित होती है, जहाँ एक बीमार स्त्री जीवन और रिश्तों के बीच संघर्ष करती है। उसे एक डॉक्टर के रूप में ऐसा साथी मिलता है, जो अपनी वास्तविक पहचान छुपाए रखता है।
नाटक में स्त्री की मानसिक अवस्था, अकेलापन, उम्मीद और प्रेम को संवेदनशीलता तथा सादगी के साथ प्रस्तुत किया गया। निर्देशक हरमेन्द्र सरताज ने मंचीय भाषा, प्रकाश और संगीत के माध्यम से स्त्री की मनोदशा को गहराई से उभारा। संवादों की संक्षिप्तता और भावनात्मक प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा, जिससे कई बार भावुक प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिलीं।
मंच पर शालिनी मिश्रा, हर्षित केशरवानी, आकाश अग्रवाल, एज़ल, अभिषेक दूबे, ऋषि गुप्ता, लवकुश सरोज और वर्षिता श्रीवास्तव ने प्रभावशाली अभिनय किया। कलाकारों ने अपने किरदारों को जीवंत बनाते हुए नाटक को यादगार बनाया। विशेष रूप से स्त्री पात्र की भूमिका को दर्शकों ने खूब सराहा।
नाटक के संगीत संयोजन की जिम्मेदारी शिखर चन्द्रा ने संभाली, जिसने मंच की भावनाओं को सशक्त किया। प्रकाश परिकल्पना स्वयं निर्देशक हरमेन्द्र सरताज ने की। मंच परिकल्पना हर्षित, आकाश, शालिनी, लवकुश, वर्षिता और ऋषि द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई, जबकि पोस्टर डिज़ाइन आयुष केसरवानी ने किया।
समापन अवसर पर उपस्थित रंगप्रेमियों ने इस प्रस्तुति को इसके संवेदनशील विषय और सशक्त मंचन के लिए सराहा। उन्होंने भविष्य में ऐसे और प्रयोगात्मक नाटकों की अपेक्षा भी जताई।