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आस्था धर्म डेस्क
आज रविवार, 27 मार्च 2022 है। चैत्र के महीने में इस नवरात्रि के पड़ने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है.
चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र मास में मनाई जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है. ‘चैत्र’ के महीने में इस नवरात्रि के पड़ने के कारण इसे चैत्र नवरात्रि (Navratri) कहा जाता है. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की नौ दिनों में पूजा की जाती है. नवरात्रि में बहुत लोग व्रत-उपवास भी रखते हैं. अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार भक्त नौ दिनों का फलाहार या एक समय सेंधा नमक वाला भोजन खा कर देवी दुर्गा की अराधना करते हैं. जान लें चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रहे हैं और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि क्या है.
*चैत्र नवरात्रि तिथि*
इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है और और 11 अप्रैल 2022, दिन सोमवार को नवरात्रि का समापन होगा. इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी.
*चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त*
चैत्र घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को
*घटस्थापना मुहूर्त -* 06:10 सुबह से 08:31 सुबह
अवधि - 02 घण्टे 21 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 12:00 दोपहर से 12:50 दोपहर तक
अवधि - 00 घण्टे 50 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है.
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01, 2022 को 11:53 बजे सुबह से
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अप्रैल 02, 2022 को 11:58 बजे सुबह तक
*चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना विधि*
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो पहले कलश स्थापना की विधि जान लें-
कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है.
कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी या बालू, गंगाजल, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा, आम या अशोक के पत्ते,और फूल की जरूर होती है.
कलश स्थापना से पहले अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा दें.
अब इस कपड़े पर कुछ चावल रख दें.
जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो दें.
अब इस पर पानी से भरा कलश रखें.
कलश पर कलावा बांधें.
साथ ही कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डाल दें.
कलश में आम या अशोक के पांच पत्ते रखें.
कलश के ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखें.
अब मां दुर्गा का ध्यान करें और पूजा शुरू करें.