Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

प्रयागराज: शुआट्स मामले में खुल रही पोल, मानदेय-विशेष भत्ते के नाम पर हर साल करोड़ों का खेल

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। करोड़ों के सरकारी अनुदान के दुरुपयोग के बाद अब शुआट्स में मानदेय व विशेष भत्ते के नाम पर खेल का मामला सामने आया है। आरोप है कि वीसी आरबी लाल समेत संस्था के कई ऐसे अफसर हैं जो गवर्नमेंट पे रोल के पदों पर नियुक्त हैं और नियम विरुद्ध तरीके से मानदेय व विशेष भत्ते के रूप में भुगतान ले रहे हैं। मामले की शिकायत शासन में पत्र भेजकर की गई है। साथ ही जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है।
सूत्रों का कहना है कि शुआट्स में प्रतिमाह 35 लाख रुपए मानदेय के रूप में वितरित किए जा रहे हैं। इनमें से 30 लाख रुपए का भुगतान स्पेशल एलाउंस के मद में किया जा रहा है। शेष पांच लाख का भुगतान प्रॉक्टोरियल बोर्ड, हॉस्टल वार्डन आदि को दिए जा रहे हैं।इस हिसाब से देखा जाए तो सलाना लगभग 3.5 करोड़ रुपए मानदेय व विशेष भत्ते के नाम से बांटे जा रहे हैं। यह भुगतान सैम हिगिन्नबॉटम सोसायटी से लिया जाता है।
जानकारों का कहना है कि सरकारी अनुदान के पद पर नियुक्त रहते हुए मानदेय का भुगतान लेना नियमविरुद्ध है। इसी तरह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के सेक्शन 10 व 11 के मुताबिक, कोई भी सदस्य सोसाइटी से लाभ नहीं ले सकता है। इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखकर मानदेय व विशेष भत्तों के नाम पर लाल बंधु व उनके करीबी सरकारी अनुदान वाले पदों पर रहते हुए भी करोड़ों रुपयों का भुगतान ले रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, शुआट्स वीसी आरबी लाल हर माह विशेष भत्ते के तौर पर 9.94 लाख रुपये का भुगतान विशेष भत्ते के मद में लेते हैं। जबकि वह खुद सरकारी अनुदान वाले पद पर पोस्ट हैं। इसी तरह उनका बेटा जोनाथन ए लाल 2.17 लाख रुपये का भुगतान लेता है। इसी तरह उनके दोनों भाइयों प्रो वीसी सुनील बी लाल व निदेशक प्रशासन विनोद बी लाल को विशेष भत्ते के रूप में 2.27 लाख रुपये दिए जाते हैं। इसी तरह वीसी की पत्नी सुधा लाल का भतीजा दीपक लाल जो डीन के पद पर तैनात है, 15 हजार रुपये बतौर मानदेय लेता है।
एक खास बात यह भी है कि पिछले दिनों शुआट्स में तैनात शिक्षकों को सात माह तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ। लेकिन उसी दौरान सरकारी पदों पर आसीन शिक्षकों/ अधिकारियों को सरकारी वेतन के साथ-साथ मानदेय भुगतान जारी रहा।
जानकारों के मुताबिक शासन के नियमों के अनुसार, मानदेय वह राशि है जिसे विशिष्ट कार्य करने पर संबंधित को दिया जाता है। मानदेय का भुगतान वैतनिक कर्मचारियेां को नहीं किया जाता। एक्ट-35 के सेक्शन 19(2) के अनुसार सीनेट को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह चांसलर, वाइस चांसलर, ट्रेजरार, प्रो-वाइस चांसलर, डायरेक्टर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस कंट्रोलर एवं अन्य उच्च अधिकारियों की नियुक्ति कर सके तथा वेतन/मानदेय तय कर सके। लेकिन खास बात यह है कि शुआट्स में जिन अधिकारियों की नियुक्ति, वेतन एवं मानदेय तय होना है, वही अधिकारी सीनेट के चेयरमैन, सदस्य सचिव व सदस्य भी हैं।
यानी अधिकारियों ने स्वयं अपनी नियुक्ति, वेतन एवं मानदेय तय कर लिए हैं। इसी तरह विशेष भत्ते की एक्ट-35 मे कोई परिभाषा नहीं है। यह केवल कुलपति एवं सीनेट पर निर्भर करता है कि वह किसको और क्यों इसका भुगतान करना चाहते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एक्ट-35 मे यह स्पष्ट लिखा है कि कुलपति, रजिस्ट्रार, फाइनेंस कंट्रोलर, डायरेक्टर, ट्रेजरर इत्यादि पद पूर्णकालिक है। यानी इन पदों को धारण करने वाले अधिकारी अपने निर्धारित कार्य के अलावा अन्य किसी कार्य में सम्मिलित नहीं हो सकते हैं। ऐसे में विशेष भत्ते का भुगतान किस विशेष कार्य के लिए हो रहा है, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad