प्रयागराज (राजेश सिंह)। आस्था के महापर्व महाकुंभ-2025 के लिए जहां आठ हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है, वहीं संगम के पास गंगा का आंचल खुलेआम मैला किया जा रहा है। गंगा निर्मलीकरण के नाम पर छल का यह नमूना देख लोग हैरत में पड़ गए। बक्शीबांध एसटीपी से नालों का गंदा पानी बिना शोधित किए ही बहाया जा रहा है। राहगीर और श्रद्धालु नाक दबाकर गुजरते देखे गए। बख्शी बांध एसटीपी से नालों का गंदा पानी बिना शोधित किए ही छोड़ा जा रहा है। काले और बदबूदार पानी की धारा गंगा में प्रवाहित होने से गंगा के किनारों पर दुर्गंध उठने लगी। यह हाल तब है जब तीन महीने बाद माघ मेला 2024 की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
इस बार के माघ मेला को महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर बसाया जाना है। इसके अलावा महाकुंभ की तैयारियां भी जोर शोर से जारी हैं। ऐसे में गंगा निर्मलीकरण के प्रति इस तरह की उदासीनता जिम्मेदारों के माथे पर बल पैदा करने वाली हो सकती है। यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गंगा में नालों का पानी न बहने देने की हिदायत दे चुके हैं।
गंगा में नालों का पानी बिना शोधित किए बहाए जाने के सवाल पर गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर सुरेंद्र सिंह परमार का कहना है कि गंगा में बिना शोधित किए गंदा पानी बहाया ही नहीं जा सकता। एसटीपी से नालों का पानी शोधित किए जाने के बाद ही गंगा में छोड़ा जा रहा है। एसटीपी से काला पानी कहां से आ रहा है, यह स्थलीय सत्यापन से ही स्पष्ट होगा। वह कहते हैं कि काले और बदबूदार पानी को अनट्रीटेड वाटर नहीं कहा जा सकता।