Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

चंद्रयान-3 की लागत हॉलीवुड की अंतरिक्ष पर आधारित फंतासी फिल्म से भी कम: जितेंद्र सिंह

sv news


नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता से गदगद विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि करीब 600 करोड़ रुपये की इस किफायती परियोजना की लागत अंतरिक्ष और चंद्रमा के विषय पर हॉलीवुड में बनने वाली एक फंतासी फिल्म से भी कम है। सिंह ने इंदौर में 26वें राष्ट्रीय ई-प्रशासन सम्मेलन में भाग लेने के बाद चंद्रयान-3 पर चर्चा के एक सत्र में कहा कि भारत ने अन्य देशों के मुकाबले बेहद किफायती लागत वाले अंतरिक्ष अभियानों को अमली जामा पहनाया है। यह सत्र इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी ने अलग से आयोजित किया था। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा,‘‘चंद्रयान 3 की लागत केवल 600 करोड़ रुपये है। हॉलीवुड में अंतरिक्ष और चंद्रमा के विषय पर बनने वाली केवल एक फंतासी फिल्म की लागत 600 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है।’’

सिंह ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा,‘‘मैं इन दिनों ज्यादा फिल्में नहीं देखता, लेकिन कल मुझे एक व्यक्ति ने बताया कि (भारत में) आजकल एक-दो अभिनेता एक फिल्म के बदले 100 करोड़ रुपये तक फीस लेते हैं। मैं यह बात जानकर हैरान रह गया क्योंकि गुजरे जमाने में दिलीप कुमार जैसे बड़े अभिनेता पांच-छह लाख रुपये लेकर देवदास सरीखी फिल्मों में काम कर देते थे।’’ उन्होंने बताया कि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के प्रयोग बृहस्पतिवार से शुरू हो गए हैं जो कुल 14 दिन चलने हैं। सिंह ने जोर देकर कहा कि ये प्रयोग चंद्रमा के बारे में नये वैज्ञानिक अनुसंधानों की जमीन तैयार करेंगे। सिंह ने कहा,‘‘चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की उपस्थिति के बारे में वैज्ञानिक अनुसंधानों से हमें इस प्रश्न का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उत्तर मिल सकता है कि चंद्रमा पर मानव जीवन की संभावना है या नहीं?

यह बात अन्य देशों के चंद्रमा अभियानों से एकदम अलग होगी।’’ उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता साबित करती है कि भारत, अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी चुनिंदा देशों के बराबरी के स्तर पर पहुंच गया है और कुछ क्षेत्रों में इन मुल्कों की अगुवाई भी कर सकता है। सिंह ने कहा,‘‘अमेरिका ने भले ही नील आर्मस्ट्रांग के रूप में पहले मानव को 1969 में चांद पर उतारा था, लेकिन इसकी सतह पर पानी होने का प्रमाण भारत का चंद्रयान-1 ही लेकर आया था।’’ सिंह ने यह भी कहा कि सूर्य का अध्ययन करने वाले पहले अंतरिक्ष आधारित भारतीय अभियान ‘‘आदित्य-एल1’’ की शुरुआत की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और फिलहाल इसके यान को अंतरिक्ष में भेजे जाने की प्रस्तावित तारीख दो सितंबर है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसके प्रक्षेपण का अंतिम फैसला अंतरिक्ष में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की समीक्षा के बाद किया जाएगा।

सिंह ने कहा कि गगनयान परियोजना के पहले चरण के तहत मानवरहित प्रायोगिक अभियान (ट्रायल मिशन) की शुरुआत सितंबर के आखिरी हफ्ते में किए जाने की योजना थी, लेकिन संभवतरू अब अक्टूबर के पहले हफ्ते में इसकी शुरुआत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि गगनयान परियोजना के दूसरे चरण के तहत महिला के हुलिये वाली रोबोट ‘‘व्योममित्र’’ को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। सिंह ने बताया, इन दोनों चरणों के बाद गगनयान परियोजना के मानवयुक्त अभियान के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा जिनकी संख्या एक से तीन के बीच रह सकती है। मुझे लगता है कि यह स्थिति 2024 तक बन पाएगी।

إرسال تعليق

0 تعليقات

Top Post Ad