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श्रीमद्भागवत के छठे दिन रुक्मिणी विवाह प्रसंग का हुआ वर्णन

 

Svnews

मेजा,प्रयागराज। (पवन तिवारी)

श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह उत्सव के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। गुनई गहरपुर में गत  18 दिसंबर से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक धनंजय जी महाराज ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा श्रवण के दौरान स्थानीय महिलाओं पर पांडवों के भाव अवतरित हुए। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत विवरण दिया।

 

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रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल नंद के लाला अर्थात श्री कृष्ण जी को पति के रूप में वरण करेंगे। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है। द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएगी। अंत में भगवान श्रीद्वारकाधीश जी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। कथा व्यास ने कहा इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। कथा का समापन आयोजक स्व.श्रीनिवास तिवारी के पुत्र पप्पू तिवारी की मां बेलाकली तिवारी और भाभी सविता तिवारी द्वारा  आरती के साथ हुआ। श्रोताओं को प्रसाद वितरण किया गया। आयोजक ने बताया कथा के सातवें दिन सुबह 11 बजे से 2 बजे तक कथा तत्पश्चात हवन यज्ञ होगा।25 दिसंबर को विशाल भंडारा होगा। इस मौके मुख्य रूप से विद्याकांत तिवारी,संजय तिवारी उर्फ गुड्डू,अतुल द्विवेदी ,सुरेन्द्र मिश्र,सूरज शुक्ल,आशीष दूबे, प्रधान पंकज राव प्रकाश चन्द्र दूबे, रविन्द्र तिवारी,सुधाकर दूबे,इंद्र कुमार तिवारी,सुरेन्द्र दूबे,विपुल तिवारी और आयुष तिवारी उपस्थित रहे।

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