मेजा,प्रयागराज।(पवन तिवारी)
क्षेत्र के गुनई गहरपुर
में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक धनंजय जी महाराज द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन किया।कथा व्यास ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और न ही बदले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। संगीतमय कथा सुनकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। प्रधान यजमान आयोजक रामकैलाश उर्फ पप्पू तिवारी की मां बेलाकली तिवारी ने भक्ति भाव से आरती की। तत्पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।हारमोनियम पर प्रभाकर मिश्र, तबले पर कौशल किशोर भट्ट और बिंजो पर कृष्ण कुमार ने संगत दी। इस अवसर पर विद्याकांत तिवारी,
मंगला तिवारी,पन्ने पांडेय, शेषमणि शुक्ला,लालजी तिवारी,आशीष कुमार यादव,लालमणि दुबे, लालबलि दुबे,भोला पाठक, दीना पाठक,रामानुज दुबे,ओमप्रकाश मिश्र,रमाशंकर कुशवाहा,नरेश तिवारी,डाक्टर तिवारी,राधेश्याम तिवारी और इंद्र कुमार तिवारी आदि मौजूद रहे।