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महाकुंभः यज्ञकुंड की लौ पड़ी ठंडी और उखड़ने लगे संतों की शिविर

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कुम्भनगर (राजेश शुक्ल)। महाकुंभ क्षेत्र में जहां तीन दिन पहले उल्लास था। उत्सव का माहौल था। मंत्रोच्चार के बीच यज्ञकुंड में आहुतियां पड़ रही थीं। अखाड़ों के उन शिविरों का स्वरूप बदल गया है। यज्ञकुंड की लौ ठंडी पड़ गयी। जो द्वार शिविरों का आकर्षण थे, वह उखड़ गए। जिन संतों के सानिध्य में श्रद्धालु घंटों बैठकर उत्सुकता की डोर खोलते थे। अखाड़ा नगर का वह सेक्टर-20 गुरुवार को विरान हो गया। संत सामान बांधकर नए ठिकाने की ओर रुख कर रहे हैं। जो बचे हैं वह शुक्रवार को रवाना हो जाएंगे। बदली स्थिति में भगवा धारियों का मन भावुक है। जहां संतों के ठकाके गूंजते थे उन शिविरों ने मौन की चादर ओढ़ रखी है।

धीरे-धीरे महाकुंभ मेला क्षेत्र से विदा होने लगे अखाड़े

वैसे पिंडदान के बाद मोह-माया से मुक्त होने की शपथ लेने वाले संतों के जीवन में वियोग का कोई स्थान नहीं है, लेकिन मन है कि मानता नहीं। संन्यास के जीवन में गुरु और गुरु भाइयों तथा शिष्यों के अलग होने पर हृदय की वेदना आंखों से छलक उठती है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं के प्रमुख आकर्षण अखाड़े धीरे-धीरे महाकुंभ मेला क्षेत्र से विदा (वापस) होने लगे हैं। सेक्टर-20 स्थित अखाड़ों के शिविर में धर्मध्वजा उतारकर नए गंतव्य की ओर संत रवाना हो रहे हैं। शुक्रवार को शैव (संन्यासी) अखाड़े धर्मध्वजा उतारकर कढ़ी-पकौड़ी का भंडारा करेंगे। उसका सेवन करने के बाद संत काशी जाएंगे। बड़ा उदासीन अखाड़ा की धर्मध्वजा भी शुक्रवार को उतारी जाएगी।

26 फरवरी तक चलेगा महाकुंभ

कुंभ-महाकुंभ में 13 अखाड़े मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी का अमृत (शाही) स्नान करते हैं।अभी कल्पवास 12 फरवरी माघी पूर्णिमा तक है, महाशिवरात्रि 26 फरवरी तक महाकुंभ चलेगा, लेकिन अमृत स्नान समाप्त होने के बाद अखाड़े मेला क्षेत्र छोड़ने लगे हैं।निर्मल व बड़ा उदासीन अखाड़ा के प्रमुख संत चार फरवरी को मेला क्षेत्र छोड़ दिए हैं। शैव अखाड़े जूना, निरंजनी, महानिर्वाणी, अटल, आनंद, आवाहन व अग्नि के संत प्रयागराज से काशी जाएंगे। शुक्रवार को शिविर में स्थापित धर्मध्वजा उतारी जाएगी।

वैरागी अखाड़े के संत भी धीरे-धीरे मेला क्षेत्र छोड़ रहे हैं, लेकिन उनकी धर्मध्वजा अभी नहीं उतारी जाएगी।जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया, हमारा अखाड़ा सात फरवरी को ‘कढ़ी पकौड़ी’ का भोज आयोजित करेगा, जिसके बाद संत श्श्श्श्धर्म ध्वजा की रस्सियां खोलकर काशी के लिए प्रस्थान करेंगे। बताया कि वे सबसे पहले काशी जाएंगे, जहां वे महाशिवरात्रि तक रहेंगे। वहां काशी विश्वनाथ का दर्शन करके मसाने की होली खेलेंगे। वहीं आवाहन और अग्नि अखाड़ा के संत पहले कश्मीर जाएंगे।

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