रॉयटर्स, अमेरिका। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रविवार को एक आपात बैठक हुई, जिसमें अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले पर चर्चा की गई। इस बैठक में रूस, चीन और पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव रखा जिसमें मिडिल-ईस्ट में तुरंत और बिना शर्त युद्धविराम की मांग की गई।
ईरान पर अमेरिका और इजरायल की कार्रवाई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई इजरायल के साथ मिलकर की गई और इसे 1979 की ईरानी क्रांति के बाद इस्लामी गणराज्य के खिलाफ सबसे बड़ा सैन्य हमला बताया जा रहा है। रूस और चीन ने इस हमले की कड़ी निंदा की। चीन के संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि फू कोंग ने कहा, बल का प्रयोग कर के मिडिल-ईस्ट में शांति नहीं लाई जा सकती। अभी भी कूटनीतिक समाधान की संभावना बची है।
रूस की तीखी आलोचना
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की कार्यवाहक राजदूत डोरोथी शिया ने कहा कि अमेरिका को अब निर्णायक कदम उठाना पड़ा क्योंकि ईरान ने लगातार परमाणु समझौते की शर्तों को टालने और बातचीत से बचने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने दिए जाएंगे। वहीं रूस के राजदूत वासिली नेबेन्जिया ने 2003 की याद दिलाते हुए कहा कि जैसे इराक के खिलाफ झूठे बहाने बनाकर हमला किया गया था, वैसे ही अब ईरान के मामले में अमेरिका फिर वही कहानी दोहरा रहा है। उन्होंने कहा, इतिहास से अमेरिका ने कुछ नहीं सीखा।
ईरान और इजरायल की प्रतिक्रिया
ईरान ने स्वयं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की यह आपात बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। ईरान के यूएन राजदूत अमीर सईद इरवानी ने अमेरिका और इजरायल पर राजनयिक प्रयासों को बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने परमाणु अप्रसार संधि को एक राजनीतिक हथियार बना देने का आरोप भी लगाया। इजरायल के यूएन राजदूत डैनी डैनन ने अमेरिका की कार्रवाई की सराहना की और कहा, ष्जब बाकी सभी उपाय फेल हो जाएं, तो यही आखिरी रक्षा रेखा होती है। उन्होंने दावा किया कि ईरान परमाणु बातचीत का इस्तेमाल सिर्फ समय खरीदने और गुप्त तरीके से यूरेनियम संवर्धन और मिसाइल निर्माण के लिए कर रहा था।
सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस प्रस्ताव पर कब वोटिंग करेगी। प्रस्ताव पास करने के लिए कम से कम 9 सदस्य देशों का समर्थन और अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस या ब्रिटेन में से किसी का वीटो नहीं होना ज़रूरी है। प्रस्ताव में अमेरिका या इजरायल का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन ईरान पर हमलों की निंदा की गई है। ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने भी कहा कि सिर्फ सैन्य कार्रवाई से ईरान की परमाणु समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। सभी पक्षों को संयम दिखाना चाहिए और बातचीत की मेज़ पर लौटना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने सुरक्षा परिषद को बताया कि ईरान के फोर्दाे साइट पर पर्वतों के नीचे बना संवर्धन केंद्र हमले में प्रभावित हुआ है, लेकिन वहां कितनी क्षति हुई है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि इस्फहान परिसर में यूरेनियम सामग्री भंडारण के लिए बनी सुरंगों के प्रवेश द्वार भी निशाना बनाए गए और नतांज संयंत्र पर भी हमला हुआ है। हालांकि ईरान ने को बताया है कि तीनों साइटों के पास रेडिएशन का कोई खतरा नहीं है।