प्रयागराज (राजेश सिंह)। गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर से त्रस्त प्रयागराज में जहां जनजीवन संकट से जूझ रहा है, वहीं संगम तट पर आस्था की मिसाल पेश करते हुए हरि हर आरती को इस बार विशेष आराधना के रूप में आयोजित किया गया। लगातार दूसरे दिन मां गंगा की गोद में खड़े होकर की जा रही आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान रही, बल्कि यह एक भावनात्मक प्रार्थना बन गई है। जल प्रलय शांत करने की याचना की गई।
हर वर्ष की तरह इस बार भी संगम तट पर हरि हर आरती का आयोजन किया गया, लेकिन गंगा और यमुना के विकराल रूप के कारण इसे इस बार विशेष स्वरूप दिया गया। आरती में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं और आयोजकों ने जल के बीच खड़े होकर मां गंगा से विनती की कि वह अपना प्रचंड रूप शांत करें और अपने मूल स्थान पर लौट जाएं।
आयोजकों ने बताया कि यह आरती इस बार केवल धार्मिक परंपरा नहीं रही, बल्कि एक तपस्या का रूप ले चुकी है। उनका कहना है कि बाढ़ की चपेट में आए सैकड़ों परिवार, खासकर राजापुर, नवादा, अशोक नगर, करैली जैसे इलाकों के गरीब और बेसहारा लोग बेहद कठिनाई झेल रहे हैं। इसलिए यह आरती जनकल्याण की भावना के साथ की जा रही है। गंगा की गोद में खड़े होकर की जा रही यह विशेष आराधना न सिर्फ श्रद्धालुओं के समर्पण को दर्शाती है, बल्कि यह प्रयागराज की परंपरा, आस्था और संवेदना की अनूठी तस्वीर भी पेश करती है।
जल के बीच आरती करते भक्तों की यह भावना पूरे शहर के लिए एक संदेश है दृ कि जब संकट गहराता है, तो आस्था ही सबसे बड़ा सहारा बनती है। इस आराधना से जुड़ा हर पल एक आध्यात्मिक प्रेरणा बन गया है, जो न सिर्फ गंगा मैया से राहत की उम्मीद जगाता है, बल्कि एकजुट होकर कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी देता है।