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घर जैसा सुकून कहीं नहींःएस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला

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लखनऊ। भारत की मिट्टी पर एक बार फिर इतिहास रचा जा रहा है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों से लौटकर अपनी मातृभूमि पर कदम रख चुके हैं। एक्सिओम मिशन के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस पर 18 दिन बिताने के बाद, शुभांशु ने तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियां हासिल कीं, करोड़ों भारतीयों के सपनों को पंख दिए।

17 अगस्त जब वह दिल्ली पहुंचे, तो उनके परिवार की आंखें नम थीं- खुशी से, गर्व से और उस अलगाव की याद से जो डेढ़ साल तक चला। पिता शंभू दयाल शुक्ला पत्नी को छोड़कर बहन शुचि मिश्रा समेत पूरा परिवार दिल्ली में उनका स्वागत करने पहुंचा।

जब परिवार अपने लाल से मिला तो एक पिता की प्रार्थनाओं का फल, एक बहन की चिंताओं का अंत और एक परिवार की एकजुटता का प्रतीक दिखा। शुभांशु का अपना पोस्ट कहता है, मिश्रित भावनाएं हैं अंतरिक्ष में साथ रहे दोस्तों को छोड़ने का दुख और घरवालों से मिलने का उत्साह।

शंभू दयाल जी ने कहा कि पहली मुलाकात में हमने मिशन की कहानियां सुनीं अंतरिक्ष की वजनहीनता, पृथ्वी की खूबसूरती। शुभांशु ने कहा पापा, घर जैसा सुकून कहीं नहीं।श्श् उत्साह इतना कि घंटों बातें चलीं। परिवार ने महसूस किया कि वह बदला नहीं, वही सादा इंसान है।

शुभांशु के भारत आने पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है-

शुभांशु के पिता, शंभू दयाल शुक्ला ने बताया कि जब हमें खबर मिली कि वह आज तड़के भारत पहुंच रहे हैं, तो घर में खुशी की लहर दौड़ गई। हम सब रात भर सो नहीं सके। आशा (मां) ने सुबह-सुबह पूजा की और भगवान को धन्यवाद दिया। सूची (बहन) ने तुरंत दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर दी।

यह डेढ़ साल का इंतजार था ट्रेनिंग से लेकर आईएसएस तक। जब वह प्लेन से उतरे, तो हम दिल्ली एयरपोर्ट पर थे। उनकी पहली झलक देखकर आंसू रुक नहीं रहे थे। यह गर्व का पल था, जैसे हमारा बेटा न सिर्फ अंतरिक्ष से लौटा, पूरे देश का सम्मान लेकर आया। उत्साह इतना था कि हम सब एक-दूसरे को गले लगाकर रो पड़े।

डेढ़ साल बाद शुभांशु से मिलने पर पिता के मन में क्या भावनाएं उमड़ीं?

शंभू दयाल शुक्ला ने भावुक होकर कहा कि डेढ़ साल पहले जब वह ट्रेनिंग के लिए गए थे, तो दिल में चिंता थी। सफलता के साथ लौटने पर, मुझे लगा जैसे मेरा बेटा दोबारा जन्मा है। वह पहली बार मिले तो मैंने उन्हें गले लगाया और कहा बेटा, तूने हमें गौरवान्वित किया। उत्साह इतना था कि दिल की धड़कन तेज हो गई। मिशन के दौरान रोज वीडियो काल पर बात की, लेकिन असल में मिलना यह अलग ही खुशी थी।

शुचि मिश्रा, शुभांशु की बड़ी बहन, ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरे लिए हमेशा छोटा भाई रहा, लेकिन आज वह देश का हीरो है। दिल्ली में मिलते ही मैंने उन्हें गले लगाया और कहा भाई, तू सुरक्षित लौट आया, इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है?

25 अगस्त को लखनऊ में शुभांशु के आने पर क्या प्लान है?

बहन शुचि उत्साह से कहा कि 25 अगस्त को लखनऊ में बड़ा उत्सव होगा। पूरा परिवार, रिश्तेदार और पड़ोसी इंतजार कर रहे हैं। हम घर पर पूजा करेंगे, पारंपरिक भोजन बनाएंगे। स्कूल के दोस्त, पुराने पड़ोसी सब आएंगे।

आशा शुक्ला ने बताया, श्श्मिशन के दौरान चिंता रहती थी सुरक्षा की, स्वास्थ्य की। लेकिन शुभांशु रोज काल करते, कहते मां, सब ठीक है।श्श् जब 25 अगस्त को मुलाकात होगी वह चिंताएं खुशी में बदल जाएंगी।

शुचि ने कहा कि वह ज्यादा मैच्योर लगे, लेकिन दिल वही है। मिलने पर उन्होंने कहा, श्श्बहन, अंतरिक्ष से पृथ्वी कितनी सुंदर लगती है।श्श् उत्साह से हमने भविष्य की बातें कीं।

शुभांशु शुक्ला का लखनऊ में भव्य स्वागत प्लान, होगा रोड शो

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के आगमन पर फूलों की वर्षा और पारंपरिक आरती से शुरुआत होगी, उसके बाद एक छोटी परेड शहर की मुख्य सड़कों से गुजरेगी जहां सीएमएस स्कूल के बच्चे तिरंगे झंडे लहराते हुए उनका अभिनंदन करेंगे।

मां आशा शुक्ला ने बताया कि मेरी तबियत खराब थी तो मैं दिल्ली नहीं जा पाई। घर पहुंचने पर पूजा और आरती का आयोजन होगा, दोपहर में घर पर पारंपरिक लखनवी भोजन का भोज होगा, जिसमें मूंग का हलवा, दाल, परांठे और उनके पसंदीदा व्यंजन परोसे जाएंगे, शाम को एक छोटा सा समारोह होगा जहां शुभांशु अपने स्कूल और कालेज के दोस्तों से मिलेंगे, रात में परिवार के साथ निजी डिनर का प्लान है


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