प्रयागराज (राजेश सिंह)। भगवान ब्रह्मदेव की तपस्थली , वेदों की उत्पत्ति के स्थल , संकष्टहर माधव के पवित्र स्थल , अक्षयवट की भाँति पवित्र एवं पूज्यनीय संध्यावट एवं भगवान विष्णु के प्रथम अवतार भगवान हँस की जन्मभूमि - ’हंस तीर्थ क्षेत्र झूँसी प्रयागराज की मुक्ति के लिए विगत कई वर्षों से चल रहे आंदोलन के क्रम में इस वर्ष भगवान हंस जन्मभूमि की मुक्ति के लिए दिनांक 30 अक्टूबर 2025 को हंस नवमी/आंवला नवमी के उपलक्ष्य में आयोजित हंस जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र मुक्ति रैली में प्रयागराज के प्रथम नागरिक गणेश केसरवानी ने भी हिस्सा लिया तथा सम्पूर्ण हंस तीर्थ क्षेत्र को शीघ्र मुक्त करवाने का आश्वासन दिया ।
यह यात्रा पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के आश्रम शिवगंगा से प्रारंभ होकर भगवान परशुराम अखाड़ा, कैलास धाम, परमानंद आश्रम, देवहरा बाबा आश्रम आदि अनेकों स्थानों से होते हुए हंस तीर्थ स्थल पर पहुँची जहाँ भगवान हंस की जन्मभूमि को पिछली सरकारों के संरक्षण में ऊँची ऊँची दीवार बनाकर क़ैद कर लिया था तथा कुछ माह पूर्व हंस कूप को भी टीन शेड से घेरकर अन्दर ही अन्दर गुप्त तरीक़े से पक्की दीवारों से घेरा जा रहा है को देखकर भक्तों के मन में असहनीय पीड़ा हुई वहाँ बड़े से गेट लगे होने के कारण तथा वहाँ खड़े प्रहरियों के द्वारा दर्शन का विरोध करने के कारण भगवान हंस के अनुयायियों व्यास मुनि, ब्रह्मचारी जगदीश , कपिल गिरी आदि सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सड़क पर ही पूजा अर्चना की । यात्रा के संयोजक व्यास मुनि ने कहा कि इस सम्पूर्ण घटना क्रम को प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री आदित्य नाथ जी के समक्ष रखा जाएगा । शासन/प्रशासन की यात्रा तथा हंस मन्दिर के दर्शन की अनुमति के कारण भारी संख्या में पुलिस बल तथा राजस्व के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे ।
