नई दिल्ली। रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्त्री को टाटा ट्रस्ट्स से बाहर करने के फैसले के बाद अब कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। मेहली ने महाराष्ट्र चौरिटी कमिश्नर के पास कैविएट दाखिल किया है।
इस कैविएट में उन्होंने मांग की है कि ट्रस्ट्स बोर्ड में कोई बदलाव करने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। उनका टर्म 28 अक्टूबर को खत्म हो गया था और बहुमत ट्रस्टीज ने रिन्यूअल नहीं किया।
मेहली मिस्त्री को 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया था। उनका तीन साल का टर्म 28 अक्टूबर 2025 को खत्म हुआ। 23 अक्टूबर को सर्कुलर भेजकर ट्रस्टीज से मेहली मिस्त्री की लाइफ ट्रस्टीशिप के लिए सहमति मांगी गई। लेकिन नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने इसका विरोध किया।
इन तीनों के मेहली मिस्त्री के खिलाफ वोट से बहुमत बन गया। सर दोराबजी ट्रस्ट में प्रमित झवेरी और डेरियस खंबाटा ने उनका सपोर्ट किया, जबकि सर रतन ट्रस्ट में खंबाटा और जहांगीर जहांगीर ने भी हामी भरी थी। वहीं जिमी टाटा इस वोटिंग से दूर रहे थे।
17 अक्टूबर का रेजोल्यूशन क्यों अहम
रतन टाटा के निधन के ठीक बाद 17 अक्टूबर 2024 को ट्रस्ट्स ने रेजोल्यूशन पास किया था। इसमें लिखा था- किसी भी ट्रस्टी का टर्म खत्म होने पर उसे बिना लिमिट के दोबारा अपॉइंट किया जाएगा। मेहली इसी को आधार बनाकर कह रहे हैं कि रिन्यूअल ऑटोमैटिक होना चाहिए। उन्होंने कैविएट में यही पॉइंट उठाया है। चौरिटी कमिश्नर के पास 90 दिन में चेंज रिपोर्ट फाइल करनी होती है, उससे पहले मेहली सुनवाई चाहते हैं।
टाटा ट्रस्ट्स की तरफ से कोई बयान नहीं आया
टाटा ट्रस्ट्स की तरफ से अभी कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक बोर्ड 11 नवंबर को मीटिंग करने वाला है। नोएल टाटा इस बोर्ड के चेयरमैन हैं। वहीं वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह वाइस चेयरमैन हैं। मेहली रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर भी हैं। सीनियर वकील एचपी रनिना ने कहा कि कैविएट से मेहली को नोटिस मिलेगा और कमिश्नर के सामने अपना पक्ष रख सकेंगे। ट्रस्ट्स भी अपना ओपिनियन दे सकेंगे।
कैविएट क्या होता है?
कैविएट एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ श्पहले से चेतावनी देनाश् या सावधानी बरतनाश् होता है। यह तब दायर किया जाता है जब कोई व्यक्ति यह चाहता है कि किसी मामले में अदालत उसके खिलाफ कोई आदेश या फैसला देने से पहले उसे सूचित करे।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी को आशंका है कि कोई व्यक्ति उसकी संपत्ति या हक पर झूठा दावा लेकर कोर्ट जा सकता है, तो वह कैविएट फाइल करता है ताकि अदालत बिना उसकी बात सुने कोई फैसला न दे। सरल शब्दों में, कैविएट एक ऐसा कानूनी कदम है जो व्यक्ति को पहले से जानकारी और अपना पक्ष रखने का मौका देता है।
मिस्त्री का टाटा फैमिली से पुराना कनेक्शन
मेहली मिस्त्री शापूरजी पालोनजी ग्रुप से हैं, जो टाटा सन्स में 18ः हिस्सा रखता है। 2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स चेयरमैन पद से हटाया गया था। मेहली उस वक्त रतन टाटा के साथ खड़े रहे। वहीं नोएल टाटा की पत्नी आलू मिस्त्री मेहली की कजिन हैं। पारसी कम्युनिटी में इस फैसले से चर्चा है। रतन टाटा की सौतेली बहनें शिरीन और डिएना जेजेभॉय ने इसे रिटेलिएटरी एक्शन बताया।
मामले में आगे क्या हो सकता है
अगर चौरिटी कमिश्नर मेहली के पक्ष में जाते हैं तो ट्रस्ट्स को रिव्यू करना पड़ सकता है। नहीं तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक मामला जा सकता है। टाटा ट्रस्ट्स के पास 66ः शेयर टाटा सन्स में हैं, इसलिए बोर्ड चेंजेस से ग्रुप गवर्नेंस पर असर पड़ेगा। मेहली के जाने से नोएल टाटा का कंट्रोल मजबूत हुआ है, लेकिन लीगल बैटल लंबी खिंच सकती है।
