प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे में सौतेली मां की नियुक्ति के समय नाबालिग बेटी की सुरक्षा, संरक्षा व भविष्य कल्याण सुनिश्चित न करने पर अधिकारियों की खिंचाई की है। नगर आयुक्त, नगर निगम प्रयागराज को 13 नवंबर को तलब किया है।
कोर्ट ने कहा मृतक आश्रित सेवा नियमावली के तहत नियुक्ति परिवार के केवल एक सदस्य की हो सकती है। ऐसे में आश्रितों के हित सुरक्षित करने के लिए एक सदस्य की नियुक्ति के समय आश्रितों की देखभाल व उनके हितों की पूर्ति करने का हलफनामा लेना चाहिए।
अधिकारियों ने ऐसा कुछ नहीं किया। सौतेली मां को नौकरी दे दी और मृतक कर्मचारी की आश्रित नाबालिग याची को मामा के साथ रहना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा अधिकारियों का कानूनी ही नहीं नैतिक दायित्व है कि वह नाबालिग आश्रित की सुरक्षा संरक्षा व भविष्य कल्याण के हितों को सुरक्षित करें।ऐसी व्यवस्था करें ताकि आश्रित के अधिकार व हित सुरक्षित रहे। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने वर्षा की याचिका पर दिया है।
दूसरी पत्नी को मिल गई थी मृतक आश्रित पर नौकरी
याची के पिता नगर निगम कर्मचारी थे। सेवाकाल में उनकी 4 जून 23 को मौत हो गई। इनकी पहली पत्नी की 2009 मे ही मौत हो गई थी तो सुशीला देवी से शादी की थी। याची की सौतेली मां की अर्जी पर उसे आश्रित कोटे में नियुक्ति दे दी गई। किंतु नाबालिग आश्रित के भविष्य कल्याण का ध्यान नहीं दिया गया।
कोर्ट के निर्देश पर याची को नगर निगम ने 10,69,960 रुपए के दो चेक दिए। लेकिन उसकी पढ़ाई और भविष्य के बारे में विचार नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा यह अधिकारियों का दायित्व था, जिसे उन्होंने नहीं निभाया। इसलिए नगर आयुक्त को कोर्ट ने तलब किया है।
