प्रयागराज (राजेश सिंह)। बाढ़ में हजारों मकान डूबने के बाद प्रशासन ने एक बार फिर कछारी इलाके में हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की कवायद शुरू की है। इसके लिए टीम गठित कर निर्माणाधीन मकानों का सर्वे कराया जा रहा है। करीब 60 मकान चिह्नित किए गए हैं। कछारी इलाके में बड़ा भूभाग राजकीय आस्थान का है। इसके अलावा बाढ़ की आशंका को देखते हुए नए निर्माण पर रोक है, लेकिन सारे आदेश सिर्फ कागजों पर हैं। प्रतिबंधित इलाकों में जमीन की खरीद-बिक्री के साथ निर्माण भी धड़ल्ले से जारी है। गंगा की मुख्य धारा की तरफ नए मकान बनते जा रहे हैं। इसका नतीजा रहा कि गंगा-यमुना के जलस्तर के खतरे के निशान से ऊपर जाने से पहले ही सैकड़ों घरों में पानी घुस गया। कई बस्तियां पानी में घिर गईं और नावें चलानी पड़ीं। ऐसे में इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण का मुद्दा फिर से उठने लगा है। इससे जिला प्रशासन पर भी दबाव बढ़ा है और कछार में हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाने की कवायद शुरू की गई है। फिलहाल नए निर्माण पर ही रोक लगाने की तैयारी है। इसके लिए डीएम की ओर से सर्वे टीम गठित की गई है।एसडीएम सदर की अगुवाई में गठित टीम ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। बाढ़ का पानी निकल गया है। अब इसमें और तेजी की बात कही जा रही है। एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदंबा सिंह का कहना है कि करीब 60 निर्माणाधीन मकान चिह्नित किए गए हैं। आगे के निर्माण पर रोक लगाई जाएगी। जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में हुए कई अवैध निर्माण चिह्नित किए गए थे। उनमें से कई के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई थी। वहीं अन्य को भी नोटिस दिया गया था। इसके बावजूद उनमें नए निर्माण होते रहे। ऐसे निर्माण की अलग सूची बनाई गई है। इनके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की तैयारी है।
कछार में रजिस्ट्री तथा सुविधाएं दिए जाने पर भी उठ रहे सवाल
कछार में राजकीय आस्थान की जमीन की रजिस्ट्री करने तथा ऐेसे इलाकों में सुविधाओं के विस्तार पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। नियमानुसार जमीन की खरीद-बिक्री के लिए खतौनी तथा अन्य दस्तावेज में नाम होने चाहिए लेकिन इसके बगैर भी जमीन की खरीद-बिक्री हो रही है। अफसरों की तरफ से दावा किया जाता रहा है कि 100 रुपये के स्टांप पर जमीन की खरीद-बिक्री की जा रही है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि बिना मालिकाना हक के बिजली, पानी के कनेक्शन कैसे स्वीकृत हो जा रहे हैं। राजकीय आस्थान की जमीन पर निर्माण कराने वाले बड़ी संख्या में तो लोगों को मकान नंबर तक एलाट हो गए हैं।