प्रयागराज (राजेश सिंह)। मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर में पुलिस बल की तैनाती के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की खंडपीठ ने दिया है। याचियों का कहना था कि पुलिस की मौजूदगी विश्वविद्यालय परिसर में तनाव फैला रही है। पठन-पाठन का माहौल खराब हो रहा।
पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की याचिका में स्थानीय प्रशासन पर कई आरोप लगाए गए थे। कहा गया था कि शिकायत के बावजूद स्थानीय प्रशासन पुलिस बल हटा नहीं रहा है जिससे विश्वविद्यालय में भय का माहौल व्याप्त है। प्रवेश प्रक्रिया रुकी हुई है। पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
उल्लेखनीय है कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परिसर से नगर पालिका की सफाई मशीन जमीन के भीतर दबी मिली थी। साथ ही मदरसा आलिया से चोरी की गई किताबें भी बरामद हुई थीं। उसके बाद से ही यूनिवर्सिटी में पुलिस की तैनाती की गई है। इसको लेकर 22 अक्टूबर को विश्वविद्यालय के कुलपति ने डीएम रामपुर को पत्र भेजकर पुलिस बल को हटाने की मांग की थी।
तब पुलिस हटा ली गई थी, लेकिन फिर 31 अक्टूबर की मध्य रात्रि में यूनिवर्सिटी में पुलिस दोबारा तैनात कर दी गई। फिर कुलपति ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा था कि शिक्षा के मंदिर में पुलिस की तैनाती होने से विद्यार्थियों में दहशत का माहौल है। इस वजह से यूनिवर्सिटी में नए दाखिले भी नहीं हो रहे हैं और पुलिस के डर से कई कर्मचारी नौकरी छोड़ कर जा चुके हैं।
यूनिवर्सिटी के दो सहायक वित्त अधिकारियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जिनकी रिहाई 15 अक्टूबर को जेल से हुई थी। दोनों की गिरफ्तारी की वजह से विद्यार्थियों को नो ड्यूज नहीं मिल पाया। इससे अगली कक्षाओं की परीक्षा प्रभावित हुई। जौहर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने सीएम को लिखे पत्र में कहा था की यूनिवर्सिटी आपके राज्य की धरोहर है। आप कभी भी यहां आकर निरीक्षण कर सकते हैं।
इस मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार ने डीएम को पत्र भेज कर वहां तैनात पुलिस को हटाने की मांग की है। इसको लेकर रजिस्ट्रार ने यूनिवर्सिटी के 74 कर्मचारियों के हस्ताक्षर वाला पत्र भेजा था लेकिन जिला प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद पूर्व मंत्री ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिलकर गुहार लगाई।