प्रयागराज (राजेश सिंह)। मंडल के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में अव्यवस्था, डाक्टरों तथा नर्सों का लोगों से बर्ताव लुका-छिपा नहीं है। मरीजों तथा तीमारदारों से सुविधा शुल्क लेने के साथ ही परेशान करने की हदें यहां पार हैं। अस्पताल कर्मियों की यह पुरानी आदत वहां के वरिष्ठ अधिकारियों को तब भारी पड़ गई जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायमूर्ति ने अस्पताल जाकर नाराजगी जताने के साथ ही न्यायिक मामला चलाने के लिए अपने स्टेनो को भी बुला लिया। ऐसे में प्रिंसिपल समेत अन्य अधिकारियों के पसीने छूट गए। सबने हाथ जोड़कर माफी मांगी और अस्पताल में व्यवस्था में सुधार लाने की बात कही।
हाई कोर्ट के एक न्यायमूर्ति की धर्मपत्नी अपनी मां को लेकर शुक्रवार को एसआरएन अस्पताल गई थीं। न्यायमूर्ति की सास को सांस लेने में दिक्कत थी। उन्हें स्पेशल प्राइवेट वार्ड में भर्ती किया गया। वार्ड स्टाफ ने डाक्टर के दिए हुए पर्चे के अनुसार कुछ दवाएं बाहर से मंगाईं। जिसे न्यायमूर्ति की पत्नी ने साथ आए अर्दली से मंगवाया। बेड शीट बदलने की बात आई तो वार्ड स्टाफ ने कह दिया कि नहीं है। सुबह बदली जाएगी। तीमारदार ने कहा कि बेड शीट तो बदली जानी चाहिए। इस पर नर्स ने आदतन उनसे बदजुबानी कर दी। बस फिर क्या था, पत्नी से सूचना मिलने पर न्यायमूर्ति शुक्रवार रात स्वयं ही अस्पताल पहुंंच गए और अधिकारियों को तलब किया।
स्पेशल वार्ड में कुर्सी पर बैठे न्यायमूर्ति का आक्रोश अधिक था। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. एसपी सिंह, प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. अजय सक्सेना और दो-तीन प्रोफेसर वहां भागे दौड़े पहुंचे। न्यायमूर्ति ने अव्यवस्था पर एतराज जताते हुए उनसे यह तक पूछा कि मरीजों के लिए शासन से क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं, कितनी उपलब्ध कराई जाती हैं। पूछा कि मरीजों को चादर मांगनी पड़ती है ? उनके आक्रोश को देख चिकित्साधिकारियों के पसीने छूट रहे थे। प्रिंसिपल और प्रमुख चिकित्साधीक्षक के हाथ जोड़कर माफी मांगने पर न्यायमूर्ति नरम पड़े।
गंदे-फटे गद्दे पर भर्ती करते हैं मरीज
अस्पताल के मेडिसिन इमरजेंसी से लेकर वार्डो में भी अक्सर अव्यवस्थाएं नजर आती हैं। बेडशीट का लंबा चौड़ा टेंडर होता है इसके बाद भी मरीजों को समय पर बेडशीट नहीं मिलती। विरोध करने पर चिकित्सा स्टाफ की फटकार सुनने को मिलती है।
एसआइसी ने यह बताया
प्रमुख् चिकित्साधीक्षक डा. अजय सक्सेना ने कहा कि वार्ड स्टाफ ने बदजुबानी की थी। मरीजों व तीमारदारों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए। रात में न्यायमूर्ति ने आकर नाराजगी जताई थी। कहा कि माफी मांगने पर थोड़ी देर में न्यायमूर्ति ने माफ कर दिया था, कोई लिखापढ़ी नहीं हुई।