मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। मेजा तहसील क्षेत्र के उरुवा ब्लाक के कुंवर पट्टी गांव मे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। 17 फरवरी शुक्रवार को कलश यात्रा व वेदी पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ और 18 फरवरी शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत हुई। कथा के मुख्य यजमान पंडित राममिलन मिश्र व पंडित मुन्नीलाल मिश्र हैं। सह यजमान के रूप मे मिथिलेश कुमार मिश्र व गायत्री मिश्रा हैं। श्रीमद्भागवत कथा का समापन 24 फरवरी शुक्रवार को एवं 25 फरवरी शनिवार को हवन पूजन व प्रसाद वितरित किया जाएगा। कथा दोपहर दो बजे से शुरू होकर शाम तक होती है। कथा मे कुलगुरु आदर्श पाण्डेय व कुल पुरोहित जटाशंकर शुक्ल हैं।
बता दें कि कुंवर पट्टी गांव मे चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह महायज्ञ के दूसरे दिन रविवार को कथा व्यास आचार्य डॉ ओमशंकर मिश्र महाराज ने परीक्षित जन्म, सुखदेव आगमन की कथा सुनाई। उन्होंने युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। ब्रह्मास्त्र से लगने से अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ। परीक्षित जब बड़े हुए नाती पोतों से भरा पूरा परिवार था। सुख वैभव से समृद्ध राज्य था। वह जब 60 वर्ष के थे। एक दिन वह क्रमिक मुनि से मिलने उनके आश्रम गए। उन्होंने आवाज लगाई, लेकिन तप में लीन होने के कारण मुनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। राजा परीक्षित स्वयं का अपमान मानकर निकट मृत पड़े सर्प को क्रमिक मुनि के गले में डाल कर चले गए। अपने पिता के गले में मृत सर्प को देख मुनि के पुत्र ने श्राप दे दिया कि जिस किसी ने भी मेरे पिता के गले में मृत सर्प डाला है। उसकी मृत्यु सात दिनों के अंदर सांप के डसने से हो जाएगी। ऐसा ज्ञात होने पर राजा परीक्षित ने विद्वानों को अपने दरबार में बुलाया और उनसे राय मांगी। उस समय विद्वानों ने उन्हें सुखदेव का नाम सुझाया और इस प्रकार सुखदेव का आगमन हुआ। कथा के दौरान मुख्य यजमान, सह यजमान के साथ अच्युतानंद मिश्र, लालचन्द्र मिश्र, कौशल कुमार मिश्र, दिवाकर मिश्र, दिनकर मिश्र, सुधाकर मिश्र (फौजी), डॉ रत्नाकर मिश्र, मधुकर मिश्र (मुकुल) व मिश्र परिवार सहित सैकड़ों कथा श्रोता मौजूद रहे।