उरुवा, प्रयागराज (राजेश गौड़/विमल पाण्डेय)। ग्रामीण आंचल में विकास का ढिंढोरा पीटा जाता है।लेकिन जमीनी स्तर पर विकास नजर नहीं आता है। विकासखंड उरुवा की ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर सालों से खेल हो रहा है। गांव की भोली-भाली जनता दबंग प्रधानों का मुकाबला नहीं कर सकती है।इसलिए जनता सरकारी धन के बंदरबांट को अपनी आंखों से देखती रहती है। जिसके परिणाम स्वरूप उरुवा क्षेत्र के अधिकांश गांव की हालत दयनीय है।
उरुवा ब्लाक के कोढनिया गांव की कीचड़ युक्त सड़क इस गांव की पहचान बन चुकी है। विकासखंड उरुवा की कोढनिया गांव ने कभी विकास का मुंह नहीं देखा है। यहां ग्रामीणों से विकास के लंबे चौड़े वादे किए गए, लेकिन प्रधान विमलेश कुशवाह कोई भी वादा पूरा नहीं कर रहे हैं।
कोढनिया गांव के प्रवेश द्वार से शुरू होकर गांव के अंदर तक जाने वाली मुख्य सड़क नालियों के अभाव में उखड़ कर कीचड़ युक्त उबड़-खाबड़ रास्ते में तब्दील हो चुकी है। गांव वालों का इसी कीचड़ युक्त मार्ग से निकलना उनकी नियत बन चुकी है। गांव के राजबली ने बताया कि करीब 5 साल पहले बनी यह सड़क बदहाली का शिकार हो चुकी है।
नालियों का अभाव होने से घरों का पानी इसी सड़क पर भर जाता है। इस सड़क का खड़ंजा भी पूरी तरह उखड़ चुका है और बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। कीचड़ युक्त यह सड़क अब इस गांव की पहचान बन चुकी है। यहां के लोगों ने इस सड़क को बनवाए जाने की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।