प्रयागराज (राजेश सिंह)। भीषण गर्मी में करीब 25 किमी का सफर तय करके 70 वर्षीय छोटेलाल वृद्धावस्था पेंशन के बारे में पता करने समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय पहुंचे। कर्मचारी ने आनलाइन जांच की और कहा कि आप तो मृतक हो। ब्लाक ने रिपोर्ट लगाई है। पेंशन कहां से मिलेगी।
इतना सुनते ही बुजुर्ग के होश उड़ गए। इसके बाद वह जिला समाज कल्याण अधिकारी के पास पहुंचे। उनसे जिंदा करके पेंशन दिलाने की गुहार लगाई।
सहसो के सिकंदरा निवासी छोटेलाल का यह प्रकरण इस बात की नजीर है कि वृद्धावस्था पेंशनर्स के सत्यापन में किस तरह खेल हो रहा है। ग्राम पंचायतों में तैनात सचिव जीवित लाभार्थियों को मृतक दिखाकर उनकी पेंशन बंद करा देते हैं। इसी मनमानी का शिकार छोटेलाल भी हुए।
लाभार्थी ने बताया कि परिवार में तीन बेटे और पत्नी हैं। दो बेटे अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। एक बेटा साथ रहता है। 15 बिस्वा जमीन है। मजदूरी कर नहीं पाता। सरकारी कोटे से राशन नहीं मिलता। घर में खाने के भी लाले पड़े हैं। वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी। करीब तीन साल से यह भी नहीं मिल रही।
करीब दो साल से समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगा रहा हूं। किसी ने कोई सुनवाई नहीं। हर बार एक नया बहाना बनाकर लौटा दिया जाता। आज जब फिर से जांच कराई तो नया खुलासा किया। बताया गया कि ब्लाक से आई सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर 15 जुलाई 2021 को उन्हें मृतक घोषित कर दिया गया है। इसलिए पेंशन बंद है। उन्हाेंने जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रज्ञा पांडेय से मिलकर अपनी समस्या बताई।
करीब तीन साल से छोटेलाल पेंशन से वंचित है। इसके लिए ब्लाक के साथ ही समाज कल्याण विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं है। दो साल के अंदर बुजुर्ग ने कम से कम छह चक्कर कार्यालय के लगाए। केवाइसी तो कभी एनपीसीआइ कराने के लिए कहकर लौटा दिया जाता। जबकि, उन्हें वर्ष 2021 में ही मृतक घोषित किया जा चुका था, लेकिन यह बात पेंशनर्स को नहीं बताई।
वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों का सत्यापन ब्लाक से होता है। समाज कल्याण विभाग से नहीं होता। अगर, मृतक दिखाकर पेंशन कर दी गई है तो उसे फिर से शुरू कराई जाएगी। - प्रज्ञा पांडेय, जिला समाज कल्याण अधिकारी