प्रयागराज (राजेश सिंह)। नैनी सेंट्रल जेल। समय दोपहर के 12 बजे। अचानक 90 पुरुष बंदियों को मुलाकात के स्थान पर लाया जाता है। 10 मिनट बाद 70 महिला बंदी भी वहां पहुंचती हैं। इसमें चार की गोद में बच्चे होते हैं। इसमें महिलाएं पुरुष बंदियों से लिपटकर रोने लगती हैं। बच्चे को पुरुष बंदी गोद में ले लेता है।
यह दृश्य देखकर ऐसा लगा मानो यह जेल नहीं, कोई ऐसा स्थान है, जहां लोग अपनो से मिल रहे हो। लेकिन यह जेल की ही बदली व्यवस्था थी, जिसने माहौल ऐसा बना दिया था। शासन से दो दिन पहले आए निर्देश के बाद जेल में बंद ‘खून के रिश्तों’ को आपस में मिलने की बात कही गई थी, जिसे लेकर पहले रविवार को इसका पालन किया जा रहा था।
अन्य जेलों की तरह ही नैनी सेंट्रल जेल में भी पुरुष और महिला बंदियों को अलग-अलग बंदी गृह में रखा जाता है। एक ही जेल के दो परिसर में रहते हुए वह एक-दूसरे को देख भी नहीं सकते। इसी में काफी संख्या में ऐसे भी बंदी हैं, जिसमें मां-बेटे, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, देवर-भाभी आदि खून के रिश्ते के लोग शामिल हैं। अलग-अलग बंदी गृह में होने के कारण इनकी आपस में मुलाकात नहीं हो पाती थी। एक-दूसरे का हालचाल तक नहीं ले पाते थे।
संभवत: इनकी इस पीड़ा को शासन ने समझा और राहत प्रदान करने के लिए एक ऐसा कदम उठाया, जिससे इन बंदियों का मानसिक तनाव कुछ हद तक खत्म हो गया। निर्देश दिया गया कि खून के रिश्ते से जुड़े उन बंदियों की आपस में मुलाकात प्रत्येक रविवार को कराई जाए। इसके लिए समयसीमा की कोई बाध्ता नहीं है, लेकिन तीन घंटे पर्याप्त हैं। इसी के तहत पहले रविवार को महिला और पुरुष बंदियों को मुलाकात स्थल पर लाकर एक-दूसरे से मिलवाया गया।
सप्ताह में दाे बार बंदियों से मिल सकेंगे
बदली हुई व्यवस्था के तहत केंद्रीय कारागार में रविवार को बंदियों से मुलाकात अब पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। अब शनिवार को मुलाकात कराई जाएगी। शासन के आदेश पर अब विचाराधीन बंदियों से सप्ताह में दो बार मुलाकात हो सकेगी। जबकि सजायाफ्ता बंदियों से उनके स्वजन एक पखवारे के बजाय एक सप्ताह में मुलाकात कर सकेंगे।
आरके सिंह, प्रभारी जेल अधीक्षक ने बताया कि शासन द्वारा दिए के निर्देश के तहत रविवार से जेल में बंद खून के रिश्तों की आपस में मुलाकात शुरू करा दी गई है। यह मुलाकात प्रत्येक रविवार को होगी। इससे परिवार के लोग आपस में बैठकर बातचीत कर सकेंगे। इससे उनको यह अहसास रहेगा कि उनका भी परिवार है। मानसिक रूप से वह स्वस्थ्य रहेंगे और अच्छा नागरिक बनने की कोशिश करेंगे।