एनसीआर की सबसे कमाऊ ट्रेन ने पूरा किया 39 साल का सफर
प्रयागराज (राजेश सिंह)। संगम नगरी से राजधानी दिल्ली की यात्रा आसान करने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस आज यानी 16 जुलाई को 39 वर्ष की हो गई। 16 जुलाई 1984 को यह ट्रेन पहली बार प्रयागराज से दिल्ली गई थी। तब से आज तक यह प्रयागवासियों की सबसे पसंदीदा ट्रेन है।
उत्तर मध्य रेलवे की यह सबसे कमाऊ ट्रेन है। इस वर्ष जनवरी से जून तक प्रयागराज एक्सप्रेस ने 42.17 करोड़ रुपये कमाए। इसमें प्रयागराज से जाने वाली ट्रेन ने 21.41 करोड़ रुपये व दिल्ली से आने वाली ने 20.76 करोड़ रुपये कमाए।
तत्कालीन सांसद केपी तिवारी ने किया था प्रयास
इस वीआईपी ट्रेन को चलाने के लिए सबसे पहले तत्कालीन सांसद केपी तिवारी ने प्रयास शुरू किए थे। फिर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की तत्कालीन सांसद व केंद्रीय मंत्री रहीं राजेंद्र कुमारी बाजपेयी के प्रस्ताव पर बोर्ड से मंजूरी मिली थी। 16 जुलाई 1984 को उन्होंने प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक से हरी झंडी दिखाकर ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना की थी।
प्रयागराज एक्सप्रेस की पहचान शुरुआत में इसके कोच के रंगों से होती थी। पहले इसमें एसी कोच नहीं थे, तब रंग लाल था। 2003 में रंग नीला हुआ। अब पूरी ट्रेन एलएचबी कोच में बदल चुकी है। 2019 में इसे कुंभ मेला की थीम पर विनाइल रैपिंग में रंगा गया। ट्रेन के पहले गार्ड शीतला प्रसाद श्रीवास्तव बताते हैं कि पहले दिन स्लीपर का 115 व फर्स्ट क्लास का किराया 400 रुपये था।
24 एलएचबी कोच वाली 600 मीटर से ज्यादा लंबी देश की यह पहली आइएसओ सर्टिफाइड ट्रेन बनी थी। ट्रेन पर डाक्यूमेंट्री बनी, गीत लिखा गया। आज भी जब रवाना होती है तो स्टेशन पर घंटी बजाकर परंपरा निभाई जाती है। पहले रात साढ़े नौ बजे चलती थी। 25 नवंबर 2020 को रवानगी का समय 40 मिनट बढ़ा और अब ट्रेन रात 10.10 बजे दिल्ली रवाना होती है।