Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

लालबहादुर शास्त्री जयंती: 1974 से विभागों में भटक रही फाइल, शास्त्री को एक घर तक नहीं दिला सकीं सरकारें

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के परिजनों को एक घर तक मुहैया नहीं करा सकीं। 11 जनवरी 1966 को शास्त्रीजी के निधन के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने जो पहल की, वह आज भी फाइलों से बाहर नहीं आ सकी है।
शास्त्रीजी के निधन के बाद जब तत्कालीन केंद्र सरकार ने उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को आवास देने की पहल की तो उन्होंने प्रयागराज में जगह मांगी। इसके लिए फाइल तैयार की गई। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता किशोर बताते हैं कि ललिता शास्त्री को हेस्टिंग रोड स्थित बंगला नं 9 का प्लॉट नं.11 प्रदान करने की 10 जून 1974 को पहल हुई थी।
यह कवायद तत्कालीन मुख्यमंत्री एचएन बहुगुणा के पीआरओ पूरन चंद्र तिवारी, एडीए के तत्कालीन नगर अभियंता सुधीर मेहता, प्रदेश सरकार में उपसचिव हृदय नारायण श्रीवास्तव से लेकर एनडी तिवारी सरकार तक चली, लेकिन भूखंड आवंटन का मामला फाइलों में ही उलझा रहा। इस बीच वर्ष 1993 में ललिता शास्त्री का भी निधन हो गया।
परिजनों की ओर से काफी लिखापढ़ी के बाद अब गंगा नगर में एक प्लॉट (300 वर्ग गज) देने के लिए विकास प्राधिकरण तैयार हुआ, लेकिन अंतिम आदेश अब तक नहीं दिया। शास्त्रीजी के बेटे अनिल शास्त्री का कहना है कि प्लॉट के लिए काफी समय से लिखा-पढ़ी चल रही है। तत्कालीन केंद्र सरकार ने ही इसके लिए पहल की थी, लेकिन अब तक अमल नहीं हो सका।
शास्त्रीजी जन्मे तो मुगलसराय में, लेकिन प्रयागराज ही उनकी कर्मभूमि रही। शास्त्री जी आजादी के बाद सोरांव से 1952 में विधायक रहे और प्रदेश में मंत्री रहे। बाद में पंडित नेहरू ने उन्हें राज्यसभा पहुंचाकर रेल मंत्री बनाया। 1957 में वे इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य चुने गए और गृहमंत्री बनाए गए। 1962 में दोबारा यहीं से लोकसभा पहुंचे और 21 जून 1964 में नेहरू के निधन के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
1966 में ताशकंद जाने के पूर्व लाल बहादुर शास्त्री मांडा दौरे पर गए, जहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा, बेकारी और भूख से दुखी होकर वादा किया कि वह मांडा में विद्यालय का निर्माण कराएंगे। लौटने से पहले ही 11 जनवरी को ताशकंद में उनका निधन हो गया। उनके वादे को पत्नी ललिता शास्त्री ने पूरा किया। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से दान में जमीन लेकर लाल बहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज की मांडा में स्थापना की, जहां छात्र-छात्राएं दोनों पढ़ते हैं।
शास्त्रीजी बलुआ घाट के पास किराये के मकान में रहते थे। केंद्र में मंत्री बनने के बाद दिल्ली चले गए, लेकिन मकान मालिक को चाबी हस्तांतरित करना भूल गए। एक माह बाद शहर लौटने पर एक रुपये किराया यह कह कर दिया कि चूंकि चाबी नहीं दी थी, इस वजह से किराया देना मेरा दायित्व है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad