अपर पुलिस उपायुक्त अपराध सतीश चंद्र द्वारा बताया गया कि बालक और बालिकाओं को रात्रि में थानों पर न रखा जाये ,रात्रि में बालक और बालिकाओं को थाने में रखना किशोर न्याय(बालकों की देखरेख एवं संरक्षण)अधि0 2015 की धारा 8 (3)(आई) के विरुद्ध है । पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत किसी भी बच्चे को थाने में रखा जाना विधि विरुद्ध है । यदि रात्रि में कोई बच्चा पुलिस को मिलता है तो प्रारूप – 42 (किशोर न्याय अधिनियम) भरकर उसे आश्रय गृहों में रखा जाये और जिन जनपदों में आश्रय गृह उपलब्ध नहीं है, वहां पर वन स्टाप सेन्टर में रखा जाये।
बाल भिक्षावृत्ति, बच्चों की गुमशुदगी / अपहरण से सम्बन्धित विगत वर्षों की घटनाओं व प्रभावित क्षेत्रों का सम्यक विश्लेशण करते हुए हाट स्पाट चिन्हित कर विधिक कार्यवाही हेतु बताया गया ।
अध्यक्ष बाल कल्याण समिति प्रयागराज द्वारा बताया गया कि देखरेख एवं संरक्षण वाले बच्चों तथा कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के मामलों में पुलिस द्वारा उसके आयु का प्रमाण पत्र होते हुए भी बिना बोर्ड व समिति के आदेश के आयु की जांच के लिये मेडिकल कराया जाना किशोर न्याय अधि0 2015 की धारा 94 के विरुद्ध है।
सुश्री नाजिया नफीस, संचालक अल कौसर सोसाइटी (एनजीओ) द्वारा पॉक्सो एक्ट के बारे में विस्तार से बताया गया।
मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से डॉ0 शैलेश कुमार मौर्य द्वारा बताया गया कि सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य,उत्पादन,प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003 (COTPA ACT 2003) की धारा 4 तथा 5 के बारे में बताया गया । साथ ही यह भी बताया गया कि अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे को धूम्रपान करने को देता है या बिक्री करवाता है तो यह किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधि0 2015 की धारा 77, 78 में अपराध है ऐसा करने वाले को 07 वर्ष तक का कारावास व रुपये 1 लाख के जुर्माने से दण्डित किये जाने का प्रावधान है।
6- प्रभारी एसजेपीयू( स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट) द्वारा किशोर न्याय अधि0 2015 के बारे में उपस्थित बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को विस्तार पूर्वक बताया गया।