पुलिसवाले और रिश्तेदारों के वाहन न देने की हिदायत
लखनऊ (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश के थानों को लेकर आए ताजा आंकड़ों में यह पता चला है कि इनमें करीब 78 हजार से ज्यादा सीज किए गए वाहन खड़े-खड़े धूल खा रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने तो इनका मेटेनेंस कर पा रही है और न ही इन्हें रखने के लिए कोई सही इंतजाम। नतीजा ये हैं कि ये वाहन थाने की ही जगह घेर रहे हैं जिसके चलते अब इनकी नीलामी को लेकर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। डीजीपी ने इस मामले में प्रदेश के सभी पुलिस कमिश्ननरों और कप्तानों को पत्र भी लिखा है।
यूपी डीजीपी ने जो आदेश जारी करने वाला जो पत्र लिखा है, उसमें कहा गया कि इससे पहले जो निर्देश दिए गए थे, उनका सही से पालन ही नहीं किया गया। डीजीपी ने हिदायत दी है कि नीलामी में इस बात का सख्त ध्यान रखना होगा कि इस नीलामी में पुलिसवालों या उनके रिश्तेदारों को गाड़ियां दी जाएं।
पुलिस कमिश्नर और कप्तानोें को लिखा पत्र
डीजीपी प्रशांत कुमार पुलिस कमिश्नरों और कप्तानों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि नए बने तीन कानूनों में जब्त संपत्ति के निपटारे के कई तरह से व्यवस्था की गई है। लावारिस वाहनों व अन्य वस्तुओं के संबंध में अगर दावेदार नहीं आता है, तो डीएम इनकी नीलामी की प्रक्रिया कर सकता है।
इन बातों का रखना होगा ध्यान
डीजीपी ने अपने पत्र में कहा है कि अपराध से जुड़े वाहनों को बिना सबंधित कोर्ट की अनुमति से निस्तारित न किया जाए। नए कानून के तहत इस तरह के जब्त वाहनों को उनके पंजीकृत मालिकों को दिया जाएगा। उनसे यह बॉन्ड भरवाना जरूरी होता है, कि जरूरत पड़ने पर वह वाहन को जमा कर देंगे।
कोर्ट से लें विवादित मामलों पर मंजूरी
डीजीपी ने एक बार फिर पुलिस को यह एक बार फिर याद दिलाया है कि कापी समय से थानों में खड़ वाहनों की सूची प्राथमिकता के आधार पर बनाकर उनका सत्यापन जरूर कराएं। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए।
इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि अगर किसी वाहन के मालिक की पहचान नहीं हो पाई है, तो कोर्ट से अनुमति लेकर ही नीलामी की जाए। वाहनों को लेकर जो भी कार्रवाई हो, उसे थानों के रजिस्टर में जरूरत लिखा जाए।