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जानिए सहरी और इफ्तार का महत्व, दोनों में क्या करना चाहिए?

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रमज़ान का पाक महीना की शुरुआत हो चुकी है। रमज़ान के दौरान मुसलमान अल्लाह से प्रार्थना करते हैं और रोजा भी रख जाता है। पूरा महीना ये लोग रोजे रखते हैं और अल्लाह से प्रार्थना करते हैं।

रमज़ान का पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस्लाम के लोग इस महीने में प्रार्थना, ध्यान करते हैं और उत्सव मनाते हैं। इस दौरान मुसलमान रमज़ान के लिए रोदजे रखना शुरु कर देता है। यह एक महीने तक चलता है और ऐसा माना जाता है कि लैलत अल-क़द्र की रात के दौरान ही पवित्र कुरान पहली बार पैगंबर मुहम्मद (उन पर प्रशंसा हो) पर अवतरित हुई थी। माना जाता है कि रमज़ान के दौरान सभी शैतान नरक में जंजीरों से बंद कर दिए जाते हैं और स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। इस दौरान इन लोगों को कोई भी परेशान नहीं कर सकता, जो अल्लाह की प्रार्थना में व्यस्त हैं। रमज़ान के महीने में रोजे रखे जातें और अल्लाह से प्रार्थना करते हैं।

क्या होती है सहरी?

रमज़ान के महीने में मुसलमान लोग सुबह जल्दी उठकर सहरी खाते हैं, सूर्य निकलने से पहले सहरी खाते हैं। सहरी में खजूर, फल, दूध और मीठी सेंवई जैसे खाद्य पदार्थ खाएं जाते हैं। फिर सूर्यास्त तक वे कुछ नहीं खाते, इस प्रकार अपना व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते।

क्या होती है इफ्तार?

सूर्य उदय होने के बाद शाम को, दिन भर उपवास करने वाले लोग खजूर खाकर अपना उपवास तोड़ते हैं। अगर खजूर उपलब्ध न हो तो कोई भी मीठी चीज़ या सिर्फ़ पानी भी काम आ सकता है। इसके बाद मगरिब की नमाज़ होती है। ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद ने भी खजूर खाकर अपना उपवास तोड़ा था-कुछ किंवदंतियों के अनुसार, उन्होंने तीन खजूर और थोड़ा पानी पिया था। इसके बाद इफ्तार होता है, जिसमें शाम को कबाब, टिक्का, बिरयानी और निहारी जैसी कई तरह के व्यंजन खाए जाते हैं। इसके अलावा खीर, खुरमा जैसी मिठाईयों को खाया जाता है।


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